ब्रोकरों और म्यूचुअल फंड ने इन्फ्लूएंसरों के साथ साझेदारियों पर लगाई रोक 

मुंबई- ब्रोकरों और म्युचुअल फंड (एमएफ) जैसे कुछ शेयर बाजार बिचौलियों ने प्रस्तावित नियामकीय सख्ती से पहले फिनफ्लुएंसरों यानी वित्तीय रूप से प्रभाव लोगों के साथ अपनी साझेदारियां रोक दी हैं। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि प्रख्यात ब्रोकरेज फर्मों और फंड हाउसों ने नियामकीय स्पष्टता के अभाव में सोशल मीडिया पर वित्तीय परामर्शदाता के तौर पर लोकप्रिय लोगों के साथ अपनी कुछ भागीदारियां रद्द कर दी हैं। 

बिचौलियों (ब्रोकरेज फर्म और फंड हाउस) ने ऐसे फिनफ्लुएंसर के साथ अपने मौजूदा अनुबंधों की समीक्षा शुरू की है और उनके नाम का इस्तेमाल कर रही किसी इकाई पर निगरानी बढ़ाई है। पिछले सप्ताह, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बिचौलियों (फिनफ्लुएंसर सहित) को किसी गैर-पंजीकृत इकाई के साथ साझेदारी से रोकने के लिए दो परामर्श पत्र जारी किए। इन फिनफ्लूएंसर का इस्तेमाल उत्पाद या सेवाओं को प्रोत्साहित करने में किया जाता है। 

नियामक ने गलत जानकारी फैलाने वालों पर लगाम लगाने के लिए एक नई भुगतान प्रणाली पर भी विचार किया है। सार्वजनिक प्रतिक्रिया के आधार पर, नियामक अगले कुछ महीनों के दौरान इस प्रणाली को अंतिम रूप दे सकता है। 

महामारी के बाद, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की बढ़ती लोकप्रियता ने बाजार में कई कंपनियों को अपने उत्पाद को बढ़ावा देने या निवेशकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए फिनफ्लूएंसरों के साथ भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित किया है। 

हालांकि इसका नकारात्मक परिणाम यह भी सामने आया कि ये परामर्श संस्थाएं भोले-भाले निवेशकों को गलत तरीके से उत्पाद बेचने में लिप्त थीं या फ्रंट-रनिंग जैसे अन्य गंभीर अपराध करती थीं। देश की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्म जीरोधा के मुख्य कार्या​धिकारी नितिन कामत ने भी इन नियमों का स्वागत करते हुए कहा कि अब किसी को यह गलत जानकारी देकर बिक्री करने पर रोक लगेगी कि बाजार में पैसा कमाना आसान है। 

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