13 साल का इंतजार होगा खत्म, 20 हजार घर खरीदारों को मिलेगा मकान
मुंबई- करीब 13 साल से अपने घर का इंतजार कर रहे लगभग 20 हजार होम बायर्स के लिए जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के 59 टावरों में काम शुरू होने से उम्मीद की किरण जगी है। इस साल मार्च में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने मुंबई आधारित सुरक्षा ग्रुप को जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के नोएडा-ग्रेनो में अधूरे पड़े प्रॉजेक्ट को पूरा करने की मंजूरी दी थी।
जयश्री स्वामिनाथन ने करीब 10 साल पहले इस प्रॉजेक्ट में निवेश किया था। उन्हें खुशी है कि जल्द ही अधिकांश खरीदारों का इंतजार खत्म हो जाएगा। स्वामिनाथन ने कहा कि जेएएल (जयप्रकाश असोसिएट्स लिमिटेड) अब भी गलत बयानबाजी कर रही है, हालांकि मुआवजे और बकाये के मामलों को सुलझाने के लिए यमुना अथॉरिटी के अधिकारियों की मीटिंग से अधूरे टावरों का काम प्रगति पर होने से खरीदार उत्साहित हैं।
स्वामिनाथन के अनुसार, एनसीएलटी के फैसले के बाद सुरक्षा एजेंसी को कानूनी आधार पर यीडा को कोई पैसा देने की जरूरत नहीं है, फिर भी वह किसानों को लगभग 1,689 करोड़ रुपये का मुआवजा देने के लिए तैयार हैं। इसका प्राधिकरण को संज्ञान लेकर पेंडिंग फ्लैट्स की जल्द से जल्द डिलिवरी की दिशा में कदम उठाने चाहिए। यमुना अथॉरिटी जेपी इंफ्राटेक या प्रॉजेक्ट का अधिग्रहण करने वाली सुरक्षा कंपनी से 64.7 फीसदी के हिसाब से 1,689 करोड़ रुपये बढ़े हुए मुआवजे के रूप में और 6111 करोड़ अतिरिक्त मुआवजा वसूलना चाहती है।
यमुना अथॉरिटी ने किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ उसी में अपील की है, जहां से दोनों को मीटिंग के जरिये मामले को सुलझाने के निर्देश दिए गए हैं। कुछ शर्तों के साथ सुरक्षा समूह ने 20 हजार फ्लैट बनाने के साथ ही किसानों को मुआवजा देने का यमुना प्राधिकरण को हाल में ही प्रस्ताव दिया है। एनसीएलटी ने अगस्त 2017 में जेपी इंफ्राटेक की दिवालिया प्रक्रिया शुरू की थी।
अंतिम रिपोर्ट के अनुसार जेपी इंफ्राटेक के 18767 एक्टिव बायर्स थे। जिन्होंने 8676 करोड़ रुपये की कुल मूल राशि का भुगतान किया था, जबकि 413 खरीदारों ने अपनी बुकिंग कैंसल कर दी थी, जिनका 64 करोड़ रुपये बकाया था। 1410 बायर्स को पजेशन दिया गया था, लेकिन उनकी रजिस्ट्री नहीं हुई थी। पास के लॉ स्कूल में बेटी को एडमिशन दिलवाने के लिए स्वामिनाथन ने 2009 में 2100 स्क्वायर फुट का किंग्सटन पार्क हाइट्स में फ्लैट बुक कराया था।
स्वामिनाथन ने कहा, मेरे माता-पिता, खासकर मां की ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी। मैं अब भी दिल्ली में किरायेदार हूं। इस फ्लैट को लेने का मकसद ही खत्म हो गया है। हम कानूनी लड़ाई से पूरी तरह थक चुके हैं। ईएमआई के साथ ही घर का किराया भी भरने से परेशान होकर कई बायर्स ने अपनी ईएमआई भी देनी बंद कर दी।
कई सैनिक अधिकारियों ने रिटायरमेंट के बाद अपनी पूरी पूंजी जेपी विशटाउन में फ्लैट बुक करने में लगा दी, लेकिन अब भी वे किराये पर रह रहे हैं। मेरा दिल उन लोगों के लिए बहुत दुखी है जिन्होंने सारी आशा खो दी, जिनके परिवार के सदस्य पिछले एक दशक में मर गए, जबकि वे अपने फ्लैट के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे। यह उनके जीवन की सबसे बड़ी विडंबना है।