म्यूचुअल फंड उद्योग में तहलता मचाएंगे मुकेश अंबानी, यह है उनकी योजना 

मुंबई- मुकेश अंबानी ने 2016 में रिलायंस जियो लॉन्च करके टेलिकॉम सेक्टर में तहलका मचा दिया था। अब वह म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में भी खलबली मचाने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल में अपने फाइनेंशियल सर्विसेज को अलग किया है और इसके लिए जियो फाइनेंशियल सर्विसेज नाम से एक अलग कंपनी बनाई है।  

आज जियो देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी है। उसके ग्राहकों की संख्या 45 करोड़ से अधिक है। जियो फाइनेंशियल ने कर्ज देने के साथ-साथ इंश्योरेंस, पेमेंट्स, डिजिटल ब्रोकिंग और एसेट मैनेजमेंट बिजनस में भी दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि कंपनी ने अब तक अपने बिजनस का खुलासा नहीं किया है।  

रिलायंस की एजीएम 28 अगस्त को होगी जिसमें अंबानी जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के रोडमैप का खुलासा किया जा सकता है। बाजार में जिस तरह की हवा है उससे साफ है कि यह कंपनी म्यूचुअल फंड में एंट्री मार सकती है। इसकी वजह यह है कि जेएफएसएल ने दुनिया की सबसे एसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकरॉक के साथ जॉइंट वेंचर बनाया है। ब्लैकरॉक 8.4 ट्रिलियन डॉलर का फंड संभाल रही है जो कि भारत की जीडीपी का करीब तीन गुना है। 

अंबानी के इस कदम से म्यूचुअल फंड कंपनियों में तहलका मचा है। अंबानी ने इस बिजनस के लिए बैंकिंग सेक्टर के दिग्गज केवी कामत को अपने साथ मिलाया है। सवाल यह है कि आखिर मुकेश अंबानी म्यूचुअल फंड बिजनस में क्यों घुस रहे हैं। देश में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री देश में 44 लाख करोड़ रुपये की वेल्थ मैनेज कर रही है। 2013 में यह राशि केवल आठ लाख करोड़ रुपये थी। यानी दस साल में इसमें पांच गुना तेजी आई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अपनी सेविंग का कुल 9.7 परसेंट ही म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। ज्यादातर लोग प्रॉपर्टी या इंश्योरेंस में निवेश करते हैं। 

​भारत अभी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी है। अनुमानों के मुताबिक साल 2028 तक भारत की इकॉनमी जर्मनी और जापान से आगे निकल सकती है। धीरे-धीरे लोगों की इनकम बढ़ रही है और इसके साथ ही लोगों का रुझान भी स्टॉक मार्केट की तरफ बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि अगले पांच साल में इस इंडस्ट्री में काफी तेजी देखने को मिल सकती है। मासिक 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा एसआईपी से निवेश होता है। 

जिस तरह देश की इकॉनमी बढ़ रही है और लोगों के पास पैसा बढ़ रहा है, उससे यह इंडस्ट्री बढ़ेगी और एसआईपी की अमाउंट में भी इजाफा होगा। जाहिर है कि मुकेश अंबानी इस मौके को नहीं खोना चाहते हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों में सरकारी बैंक, निजी बैंक और एनबीएफसी भी शामिल हैं। जेरोधा और पेटीएम जैसी स्टार्टअप कंपनियों ने भी इसमें एंट्री मारी है। लेकिन 44 कंपनियों में से टॉप 10 के पास ही करीब 80 पर्सेंट फंड है।  

इस मार्केट में वही टिक सकता है जो अलग तरह का प्रॉडक्ट लेकर आए, किफायती हो और डिजिटली मजबूत हो। इन सभी शर्तों पर रिलायंस खरी उतरती है। म्यूचुअल फंड में दो तरह के फंड होते हैं- एक्टिव और पैसिव फंड्स या इंडेक्स फंड्स। जानकारों का कहना है कि अंबानी पैसिव फंड पर दांव लगा सकते हैं। इसकी वजह यह है कि यह काफी अफोर्डेबल है। वह टेलिकॉम सेक्टर की तरह शुरुआत में लोगों को मुफ्त में सेवा दे सकते हैं। रिलायंस जियो के करीब 45 करोड़ ग्राहक हैं। साथ ही रिलायंस के देशभर में 15,000 से ज्यादा स्टोर हैं। इसके दम पर अंबानी म्यूचुअल फंड मार्केट में छाने को तैयार हैं। 

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