सरकार का बड़ा फैसला, विश्वकर्मा लोगों को 5 पर्सेंट दर से मिलेगा सस्ता कर्ज

मुंबई- केंद्रीय मंत्रिमंडल और आ​र्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने केंद्र द्वारा प्रायोजित 1.17 लाख करोड़ रुपये की योजनाओं को मंजूरी दे दी है। इनमें रेलवे ट्रैक नेटवर्क में विस्तार, सार्वजनिक परिवहन में इले​क्ट्रिक मोबिलिटी और सरकार की प्रमुख योजना डिजिटल इंडिया में विस्तार शामिल हैं। 

CCEA ने स्थानीय कारीगरों एवं ​शिल्पकारों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए एक नई योजना को भी मंजूरी दी है। इस योजना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर कल अपने संबोधन के दौरान की थी। उन्होंने कुशल कारीगरों के लिए विश्वकर्मा योजना लाने का ऐलान किया था। 

लाल किले के प्राचीर से उन्होंने कहा था, ‘विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर हम एक योजना शुरू करेंगे, जिससे खास तौर पर अन्य पिछड़ा जातियों (OBC) के उन लोगों को लाभ होगा, जो पारंपरिक शिल्प में माहिर हैं। करीब 13 से 15 हजार करोड़ रुपये के आवंटन से शुरू होने वाली विश्वकर्मा योजना के जरिये बुनकरों, सुनारों, लोहारों, धोबियों, नाइयों आदि को सशक्त बनाया जाएगा। 

CCEA ने विश्वकर्मा योजना के लिए 13,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया। 13,000 करोड़ रुपये की पीएम विश्वकर्मा योजना को मंजूरी दे दी, जिससे बुनकरों, सुनारों, लोहारों, कपड़े धोने वाले श्रमिकों और नाई सहित लगभग 30 लाख पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को फायदा होगा। 

संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि योजना के तहत, शिल्पकारों को पहली किश्त में 1 लाख रुपये और दूसरी किश्त में 2 लाख रुपये का रियायती कर्ज प्रदान किया जाएगा। कर्ज 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर प्रदान किया जाएगा। मंगलवार को प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि यह योजना 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती पर लॉन्च की जाएगी।  

छोटे-छोटे कस्बों में अनेक वर्ग ऐसे हैं जो गुरु-शिष्य परंपरा के तहत कौशल से जुड़े कार्यों में लगे हैं। इनमें लोहार, कुम्हार, राज मिस्त्री, धोबी, फूल का काम करने वाले, मछली का जाल बुनने वाले, ताला-चाबी बनाने वाले, मूर्तिकार आदि शामिल हैं। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बार सबसे ज्यादा 57,613 करोड़ रुपये नई योजना पीएम ई-बस सेवा के लिए आवंटित किए। यह योजना इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में विस्तार के लिए लाई जा रही है। इसके तहत शहरों में बसों का परिचालन बेहतर बनाया जाएगा और प्राथमिकता उन शहरों को दी जाएगी, जहां संगठित बस सेवा नहीं है। 

केंद्रीय खेल एवं युवा मामले और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल के फैसले की घोषणा करते हुए कहा, ‘लगभग 10,000 नई इलेक्ट्रिक बसें लाने के लिए कुल 57,613 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।’ यह योजना सिटी बस ऑपरेशन को बढ़ाएगी और उन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां संगठित बस सेवा नहीं है। बयान में कहा गया है कि इस योजना के लिए आवंटित 57,613 करोड़ रुपये में से 20,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा। 

यह योजना 2011 की जनगणना के अनुसार 3 लाख और उससे अधिक आबादी वाले शहरों को कवर करेगी। इसमें केंद्रशासित प्रदेश, पूर्वोत्तर क्षेत्र और पहाड़ी राज्यों की सभी राजधानी शामिल हैं। ई-बसें 10 वर्षों के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत प्रदान की जाएंगी। 

इस योजना के तहत देश के 169 शहरों में PPP मॉडल के तहत 10,000 ई-बसें चलाई जाएंगी। साथ ही ग्रीन अर्बन मोबिलिटी के तहत चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कुल 181 शहरों की मदद भी की जाएगी। इस पहल का मकसद राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस कार्यक्रम के तहत 50,000 ई-बसें तैनात करना और 2030 तक 40 फीसदी ई-बसों की तैनाती तथा 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने में सरकार की मदद करना है।

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