सेबी ने बढ़ाया जांच का दायरा, घोटालों, हेरफेर व अन्य गतिविधियों का लगेगा पता
मुंबई- घोटालों, हेरफेर और फ्रंट-रनिंग गतिविधियों का पता लगाने के प्रयास में पूंजी बाजार नियामक ने जीमेल, फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, व्हाट्सऐप और समान ऐप का विश्लेषण शामिल कर अपनी जांच का दायरा बढ़ाया है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अपनी जांच में मैसेजिंग ऐप के जरिये संदेशों की जांच पहले से ही करता है।
हालांकि कुछ उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब नियामक ने डिजिटल फॉरेंसिक सेवाएं मुहैया कराने के लिए पैनल में शामिल एजेंसियों से आवेदन मांगते वक्त इन सोशल नेटवर्किंग साइटों का विशेष तौर पर जिक्र किया है।
एक साल के लिए वैध ये एजेंसियां अधिग्रहण और डिजिटल डेटा के विश्लेषण में मदद करती हैं। पिछले साल ऐसी आठ एजेंसियों का चयन किया गया था। इस बार, नियामक ने इस क्षेत्र में न्यूनतम जरूरी अनुभव पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया है।