दिसंबर तक सताएगी ऊंची महंगाई, आरबीआई दायरे से फिर बाहर, जनवरी से राहत
मुंबई- सब्जियों, खासकर टमाटर की कीमतों में आई जबरदस्त तेजी ने महंगाई को फिर बेकाबू कर दिया है। लोगों को अब दिसंबर तक ऊंची महंगाई का सामना करना पड़ेगा। जनवरी के बाद इसमें कमी आने की उम्मीद है।
बार्कले के भारत में मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने कहा, हमारा अनुमान है कि खुदार महंगाई दर अगले कुछ महीने तक ऊंची बनी रहेगी। चौथी तिमाही यानी जनवरी के बाद ही इसमें राहत मिल सकती है।
उधर, रेटिंग एजेंसी इक्रा ने सोमवार को कहा, ऊंची महंगाई के चलते अब भारतीय रिजर्व बैंक दरों में कटौती की योजना को आगे बढ़ा सकता है। हमारा अनुमान है कि अब अगले साल जुलाई के बाद ही दरों में कटौती हो सकती है। उस समय 0.50 फीसदी से लेकर 0.75 फीसदी तक की कटौती की उम्मीद है।
महंगाई दर में कमी के कारण आरबीआई ने पिछली तीन बार से दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई का महंगाई का लक्ष्य चार फीसदी है लेकिन इसमें दो फीसदी ऊपर या नीचे भी उसके लक्ष्य के तहत है।
इक्रा ने कहा कि अगर महंगाई दो तिमाहियों तक 6 फीसदी से ऊपर रहती है तो फिर आरबीआई दरों में बढ़ोतरी भी कर सकता है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अगस्त में खुदरा महंगाई 6.5 फीसदी रह सकती है। अगर हम महंगाई में से सब्जियों को हटा दें तो यह 5.4 फीसदी पर रह सकती है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, अगर वनस्पति तेल और वसा को इस महंगाई से निकाल दें तो खुदरा महंगाई 8.5 फीसदी पर पहुंच जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इनकी वृद्धि दर -16.9 फीसदी है। पर्सनल केयर उत्पादों, घरेलू सामानों, शिक्षा और कपड़ों के साथ जूता एवं चप्पल ने भी महंगाई बढ़ाने में योगदान दिया है। 22 राज्यों में से 12 राज्यों में औसत से ज्यादा महंगाई रही है। सबसे अधिक 9.7 फीसदी राजस्थान में रही है।
दूसरी ओर खाद्य पदार्थों खासकर सब्जियों के दाम बढ़ने के बीच थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई जुलाई में (-)1.36 प्रतिशत रही। थोक महंगाई अप्रैल से लगातार चौथे महीने शून्य से नीचे रही है। पिछले साल जुलाई में यह 14.07 प्रतिशत थी। इस साल जून में यह (-) 4.12 प्रतिशत थी जिसकी तुलना में इसमें 2.76 फीसदी की वृद्धि हुई है।
वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा, जुलाई में महंगाई दर में कमी मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन व रसायन उत्पादों, कपड़ा और खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण आई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य पदार्थों की महंगाई 14.25 प्रतिशत रही। जून में 1.32 प्रतिशत थी। हालांकि, जून की तुलना में इसमें वृद्धि इसलिए आई है, क्योंकि खाद्य पदार्थों में सब्जियों के भाव में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली। जुलाई महीने में सब्जियों की थोक महंगाई दर 62.12 फीसदी पर रही। जुलाई 2022 में ये आंकड़ा 18.46 फीसदी पर रहा था।
ईंधन और बिजली की महंगाई जुलाई में (-)12.79 प्रतिशत रही, जो जून में (-)12.63 प्रतिशत थी। विनिर्मित उत्पादों की महंगाई मई में (-)2.51 प्रतिशत रही। जून में यह (-) 2.71 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से लगातार तीसरी बार रेपो दर को जस का तस 6.5 प्रतिशत पर पिछले सप्ताह बरकरार रखा था।
आरबीआई ने खाद्य वस्तुओं के दाम के कारण उत्पन्न दबाव का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए महंगाई का अनुमान 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। जुलाई-सितंबर तिमाही में महंगाई दर 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पहले के 5.2 प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था, महंगाई को लेकर अभी काम खत्म नहीं हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य वस्तुओं, ऊर्जा के दाम में उतार-चढ़ाव तथा देशों के बीच तनाव बने रहने व मौसम संबंधित अनिश्चितताओं के कारण महंगाई का जोखिम बना हुआ है।