बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज पाने का यही है सही समय 

मुंबई- आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। दरों में वृद्धि एफडी निवेशकों के लिए बेहतर फैसला हो सकता था। हालांकि, केंद्रीय बैंक के ताजे फैसले से आने वाले समय में एफडी पर ब्याज दरें कम होने लगेंगी।  

विश्लेषकों के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तीसरी बार दरों को अपरिवर्तित रखने के फैसले से अभी भी समय है कि आप फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर ज्यादा ब्याज ले सकें। एफडी निवेश के लिए एक से तीन साल की समय सीमा को सबसे फायदेमंद अवधि माना जाता है। हाल के समय में एफडी में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया, क्योंकि मई 2022 में जब आरबीआई ने रेपो दर में बढ़ोतरी शुरू की तो उनकी ब्याज दरें भी बढ़ने लगीं।  

10 महीनों में केंद्रीय बैंक ने फरवरी 2023 तक 2.5 प्रतिशत रेपो दर में बढ़ोतरी की। इस दौरान एफडी की दरें भी 9 फीसदी तक पहुंच गईं थी। लेकिन पिछले तीन बार से रेपो दर में कोई वृद्धि नहीं होने से बैंक अब एफडी पर मिलन वाले ब्याज में कटौती कर सकते हैं। 

आरबीआई की रेपो दर में बढ़ोतरी के दौरान बैंकों ने एफडी दरें बढ़ाने की शुरुआत की थी। जिन बैंकों ने शुरू में अपनी एफडी ब्याज दरों को बढ़ाने में देरी की थी, वे बाद में दरों को बढ़ाए थे। जिन बैंकों ने तेजी से दरों को बढ़ाया, वह अब इसे कम करना शुरू कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला लगभग खत्म हो चुका है। कुछ बैंक पहले ही अपनी ब्याज दरों में कटौती कर रहे हैं। उनका मानना है कि एफडी ब्याज दरों में महत्वपूर्ण उछाल की संभावना अब कम लगती है, क्योंकि रेपो दर में बढ़त की गुंजाइश अब नहीं है। 

बैंकों के एफडी पर दरों में कटौती से यह संकेत मिल रहा है कि वे आगे भी इसे जारी रखेंगे। एफडी दरें कई कारकों से प्रभावित होती हैं। इनमें रेपो दर, कर्ज और जमा के बीच भारी अंतर और बैंकों की तरलता प्रमुख हैं। जहां तक तरलता की बात है तो 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के बाद बैंकों के पास भरपूर तरलता आ गई है। यही कारण है कि आरबीआई ने बैंकों से एक लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त तरलता वापस लेने का कदम उठाया है।  

पिछले साल जब रेपो दर बढ़ रही थी, तब बैंकों का कर्ज 17 फीसदी बढ़ा था, जबकि जमा 10 फीसदी बढ़ा था। ऐसे में इस सात प्रतिशत के अंतर को पाटने के लिए बैंकों ने एफडी पर जमकर दरें बढ़ाईं थीं। 15 महीनों में बैंकों में जमा राशि पर औसत ब्याज दरों में लगातार वृद्धि देखी गई है। ऐसे में अब एफडी दरों में वृद्धि का युग समापन की ओर है। रेपो दर की यथास्थिति कायम रहने के साथ बैंक अब एफडी दरों को कम करने की सोच रहे हैं।  

दो महीनों के भीतर लगभग पांच बैंकों ने एफडी ब्याज दरों में कटौती की है। एक्सिस बैंक ने 26 जुलाई से प्रभावी एफडी दरों में 0.10 प्रतिशत तक की कटौती की। दूसरे सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पीएनबी ने भी जून में एफडी दरों को 0.05 प्रतिशत तक कम कर दिया था। 

बैंक ऑफ इंडिया एफडी ब्याज में कटौती में अग्रणी बनकर उभरा है। इसने एक प्रतिशत की कटौती की। ये संशोधित दरें 28 जुलाई से लागू हैं।इंडसइंड बैंक ने 5 अगस्त से एफडी दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की। एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक ने 0.85 प्रतिशत की कमी की है। अन्य बैंक संभावित रूप से आगामी अवधि में एफडी ब्याज दरों को कम कर सकते हैं। 

सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक अभी भी 8.60 फीसदी ब्याज एफडी पर दे रहा है। इसकी वेबसाइट के मुताबिक, एक साल के जमा पर 6.85 फीसदी, एक साल से 15 माह तक के जमा पर 8.25 फीसदी और 15 माह से दो साल के जमा पर 8.50 प्रतिशत ब्याज दे रहा है। दो साल से तीन साल के जमा पर 8.60 प्रतिशत तक ब्याज दे रहा है।  

एक्सिस बैंक के दो साल से 30 माह तक के जमा पर 7.20 फीसदी ब्याज दे रहा है। जबकि 13 महीने से ज्यादा पर 7.10 फीसदी और 30 माह से तीन साल के जमा पर 7 प्रतिशत का ब्याज दे रहा है। एचडीएफसी बैंक 4 साल से 55 महीने की अवधि पर 7.25 फीसदी ब्याज दे रहा है। आईसीआईसीआई बैंक 15 से 18 महीने की अवधि पर 7.10 प्रतिशत ब्याज दे रहा है। 

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