जीजेईपीसी के आईआईजेएस में 6 दिनों में 70 हजार करोड़ का कारोबार 

मुंबई- सरकार खनन से लेकर बिक्री तक रत्न और आभूषण की पूरी मूल्य श्रृंखला पर नजर रख रही है। हमारी नीतियां न केवल उन लोगों के लिए अनुकूल हैं जो हीरे को काटते और चमकाते हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी हैं जो व्यापारी हैं या आभूषण डिजाइन करते हैं। 

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) की ओर से आयोजित आईआईजेएस में कहा, हम जड़ित हीरे के आभूषण को विकसित करना चाह रहे हैं। बर्थवाल ने कई देशों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों के साथ-साथ जीजेईपीसी प्रशासन समिति (सीओए) के साथ चर्चा की। उन्होंने आईआईजेएस प्रीमियर में भाग लेने वाले 150 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इन देशों में तुर्किये, ईरान, नाइजीरिया, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, जॉर्डन, जापान व सऊदी अरब शामिल थे। 

जीजेईपीसी के चेयरमैन अध्यक्ष विपुल शाह ने कहा, आईआईजेएस दुनिया में रत्नों और आभूषणों की सबसे बड़ी प्रदर्शनियों में से एक है। इस बार की छह दिनों की प्रदर्शनी में अब तक का सर्वाधिक 70,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। इस परिवर्तनकारी उपक्रम से क्षेत्र में अतिरिक्त एक लाख नौकरियां पैदा होने का अनुमान है। इसमें 50,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया। इसमें 2,100 विदेशी आगंतुक थे। 

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