एलएंडटी के चेयरमैन ए एम नाइक ने 21 साल में नहीं ली कोई छुट्‌टी 

मुंबई- दिग्गज इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन ए एम नाइक छह दशक की सेवा के बाद 30 सितंबर, 2023 को रिटायर हो रहे हैं। बोर्ड ने उन्हें चेयरमैन एमेरिटस का स्टेटस दिया है। नाइक ने 1965 में जूनियर इंजीनियर के पद पर कंपनी में अपने करियर की शुरुआत की थी।  

साल 1999 में उन्हें कंपनी का सीईओ बनाया गया और जुलाई 2017 में वह एलएंडटी ग्रुप के चेयरमैन बने। अपनी मेहनत और लगन के दम पर उन्होंने कंपनी को बुलंदियों पर पहुंचाया। इस दौरान कंपनी ने इंजीनियरिंग के साथ-साथ डिफेंस, आईटी और रियल एस्टेट में भी कदम रखे। आज की तारीख में एलएंडटी का 90 फीसदी रेवेन्यू उन बिजनस से आता है जिन्हें नाइक ने शुरू किया है। उनके सम्मान में कंपनी ने शेयरहोल्डर्स को छह रुपये का स्पेशल डिविडेंड देने का फैसला किया है। 

एलएंडटी की सफलता का राज बताते हुए नाइक ने कहा कि उन्होंने 21 साल में कोई छुट्टी नहीं ली। हर रोज 15 घंटे काम किया और तब जाकर एलएंडटी आज इस मुकाम पर पहुंची है। 81 साल के नाइक ने कहा कि परिस्थिति के हिसाब से उन्होंने हर तीन साल में खुद में बदलाव किया। अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए नाइक ने कहा कि वह देर तक ऑफिस में काम करते थे और घर में उनकी पत्नी अकेली होती थी। उन्होंने कहा, ‘कई बार मैं रात 12 बजे की बस मिस कर देता था। कई बार मैं ऑफिस की टेबल पर ही सोया करता था।’ 

नाइक ने कहा कि दो साल बात मिस्टर बेकर ने मुझे एक स्कूटर दिया। मिस्टर बेकर ने ही मुझे रिक्रूट किया था। साथ ही उन्होंने मुझे जल्दी कार देने के लिए भी लड़ाई लड़ी। इसकी वजह यह थी कि मैंने खुद को कंपनी के लिए वैल्यूएबल बना दिया था। मुझे अपना काम पसंद था। मैं एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना चाहता था जो देश को राष्ट्र-निर्माण में मदद करे।  

नाइक ने गुजरात के बिड़ला विश्वकर्मा महाविद्यालय से ग्रेजुएट किया था और फिर L&T में नौकरी के लिए आवेदन किया। लेकिन कंपनी ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था। एलएंडटी में उस समय IIT के स्टूडेंट्स को अधिक वरीयता दी जाती थी। बाद में उन्हें कंपनी में जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्त कर लिया गया। 15 मार्च 1965 में उन्होंने एलएंडटी में नौकरी जॉइन की थी। 

कॉलेज के दिनों को याद करते हुए नाइक ने कहा कि वह क्लास में कम जाते थे और इस पर एक प्रोफेसर ने उन पर ताना मारा था। उन्होंने कहा, ‘जब मैं स्टूडेंट था तो मैं दूसरी एक्टिविटीज में बिजी रहता था। क्लास में प्रोफेसर मुझे ताना मारा करते थे। वह कहते थे कि एक आदमी ऐसा है जिसने एसएससी में अच्छा स्कोर किया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह कॉलेज में भी अच्छा प्रदर्शन करेगा। वह ऐसा कहकर मेरी तरफ देखते थे।’ लेकिन ग्रेजुएशन करने के बाद उनकी धारा बदल गई। 

उन्होंने कहा, ‘जिस दिन मैं कॉलेज के गेट से बाहर आया, उस दिन मैंने खुद से कहा कि स्टूडेंट लाइफ खत्म हो गई है और अब कॉरपोरेट लाइफ पर काम करने की जरूरत है। मैं ऐसा स्टूडेंट था जो शायद ही कभी क्लास में जाता था लेकिन उसके बाद मैंने खुद में बदलाव किया। नौकरी जॉइन करने के बाद मैंने 21 साल तक कोई छुट्टी नहीं ली और दिन में 15 घंटे काम किया।’ अपनी करीब छह दशक की सेवा में उन्होंने कंपनी को बुलंदियों पर पहुंचाया। कंपनी ने नाइक को सम्मान देने के लिए शेयरहोल्डर्स को हरेक शेयर पर छह रुपये का स्पेशल डिविडेंड देने का फैसला किया है। 

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