छोटी बचत योजनाओं से हो रहा है लोगों का मोहभंग, घट गया है निवेश 

मुंबई- छोटी बचत योजनाओं में निवेश 11 साल में पहली बार घटा है। नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), पब्लिक प्राविडेंट फंड (पीपीएफ), पोस्ट ऑफिस जमा जैसी योजनाएं इनमें शामिल हैं। 2022-23 में इन स्कीम्स में 3.04 लाख करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश हुआ। यह 2021-22 के 3.33 लाख करोड़ के निवेश से 8.5% कम है। 

वित्त मंत्रालय ने जनवरी-मार्च तिमाही में इन योजनाओं की ब्याज दरें 1.10% तक बढ़ाई थी। इसके बावजूद निवेशकों की दिलचस्पी नहीं बढ़ी। छोटी बचत योजनाओं के नेट कलेक्शन में बीते वित्त वर्ष सबसे ज्यादा बढ़ोतरी बिहार, छत्तीसगढ़, असम, अरुणाचल प्रदेश में हुई। 

म्यूचुअल फंड: वित्त वर्ष 2022-23 में एक रिटेल निवेशक का औसत निवेश 70,199 रुपए था जो 2022-23 में घटकर 68,321 रुपए रह गया। 

इक्विटी: एनएसई के कुल कारोबार में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 40.7% हो गई थी। वित्त वर्ष 202-23 में ये घटकर 36.5% रह गई। 

गोल्ड ईटीएफ: बीते वित्त वर्ष 14 गोल्ड ETF में निवेश 74% घटकर 653 करोड़ रह गया। एक साल पहले यह 2,541 करोड़ रुपए था। 

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के मुताबिक, लोग लंबे समय के लिए पैसा लॉक नहीं करना चाहते। इसके अलावा अब करदाता नई टैक्स व्यवस्था में जा रहे हैं, जहां इन निवेश साधनों का बहुत फायदा नहीं है। बीते साल महंगाई भी ऊंचे स्तर पर रही। इससे खर्च बढ़ा और लोगों की बचत में कमी आई। 

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