अमेरिका में फिर बैंकिंग संकट, मूडीज ने 10 बैंकों की रेटिंग घटाई, दी चेतावनी
मुंबई- अमेरिका में बैंकिंग संकट फिर से सिर उठा सकता है। मूडीज ने देश के छह बड़े बैंकों की क्रेडिट रेटिंग्स को अंडर रिव्यू रखा है। इनकी रेटिंग डाउनग्रेड की जा सकती है। इनमें बैंक ऑफ न्यूयॉर्क मेलन, स्टेट स्ट्रीट और नॉर्दर्न ट्रस्ट जैसे जाने-माने बैंक शामिल हैं।
मूडीज ने कहा है कि उसकी चेतावनी इस बात का संकेत है कि अमेरिका का बैंकिंग सेक्टर अभी दबाव में है। अगर इन बैंकों की रेटिंग डाउनग्रेड होती है तो इन बैंकों के लिए फंडिंग कॉस्ट्स बढ़ सकती है। इस न्यूज से मंगलवार अमेरिका शेयर बाजार में शुरुआती कारोबार में भारी गिरावट देखी गई। डाउ जोंस में करीब 450 अंक की गिरावट आई है। एसएंडपी 500 और नैसडैक भी एक फीसदी से अधिक गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे हैं।
कुछ महीने पहले अमेरिका मे एक के बाद एक कई बैंक डूब गए थे जिससे पूरी बैंकिंग इंडस्ट्री बुरी तरह हिल गई थी। देश के तीन बड़े बैंक सिलिकॉन वैली बैंक, सिग्नेचर बैंक और फर्स्ट रिपब्लिक डूब गए थे। अमेरिका का सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्वव ने महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। देश में इंटरेस्ट रेट 22 साल के टॉप पर पहुंच गया है। इससे अमेरिकी बैंकों की हालत खस्ता हो गई है। मूडीज ने बैंकों को दी गई चेतावनी में कहा है कि हायर इंटरेस्ट रेट से अमेरिकी बैंकों की फिक्स्ड रेट सिक्योरिटीज की वैल्यू कम हुई है। इससे लिक्विडिटी का रिस्क पैदा हो सकता है।
मूडीज की रिव्यू लिस्ट में Truist (TFC), Cullen Frost और U.S. Bancorp (USB) बैंक भी शामिल हैं। महामारी के कारण लोग घरों से काम कर रहे हैं जिससे ऑफिसेज की वैल्यू गिर रही है। इससे यह आशंका पैदा हुई है कि बैंकों को भारी नुकसान हो सकता है। बैंकों ने कई रियल एस्टेट डील्स को फाइनेंस किया है। खासकर रीजनल और कम्युनिटी बैंकों का इनमें काफी एक्सपोजर है। मूडीज का कहना है कि अधिकांश रीजनल बैंकों में लो रेगुलेटरी कैपिटल है।
अमेरिका बैंकों की दूसरी तिमाही के नतीजों में यह बात सामने आई है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से उनके मुनाफे पर दबाव बढ़ा है। मूडीज ने साथ ही अमेरिका के दस छोटे बैंकों की रेटिंग कम कर दी। इसमें कामर्स बैंकशेयर्स, (CBSH), BOK फाइनेंशियल कॉरपोरेशन और एमएंडटी बैंक कॉरपोरेशन शामिल हैं। एजेंसी का कहना है कि इन बैंकों की वैल्यू में गिरावट आने की आशंका है। खासकर छोटे और मिडसाइज बैंकों को कमर्शियल रियल एस्टेट में एक्सपोजर से भारी घाटा हो सकता है।