पहली छमाही में रैनसमवेयर- साइबर हमलों में दोगुनी वृद्धि, स्कूलों पर ज्यादा हमला
मुंबई- भारत में 2023 की पहली छमाही में रैनसमवेयर और साइबर हमलों में दोगुनी वृद्धि दर्ज की गई है। सोनिकवॉल की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और ब्रिटेन जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में रैनसमवेयर हमलों में कमी आई है। 133 फीसदी की वृद्धि के साथ भारत और 52 फीसदी की वृद्धि के साथ जर्मनी उन देशों में हैं, जहां सबसे ज्यादा हमले हुए हैं।
सोनिकवॉल के जनवरी-जून में किए गए सर्वे के अनुसार, वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोजैकिंग (399 प्रतिशत), आईओटी मैलवेयर (37 प्रतिशत) और एन्क्रिप्टेड खतरे (22 प्रतिशत) में ज्यादा तेजी आई है। हालांकि, रैनसमवेयर हमलों में 41 फीसदी की गिरावट आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, साइबर अपराधी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमला करने के लिए अपनी योजना को और ज्यादा बढ़ा रहे हैं। इससे खतरे को भांपना जटिल हो गया है। इसलिए कंपनियों को अब नए सिरे से सुरक्षा ढांचा बनाने पर जोर देना पड़ रहा है। हालांकि भारत में क्रिप्टो हमलों में कम वृद्धि देखी गई, लेकिन कुल मिलाकर रैनसमवेयर और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) हमलों में भारी वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर हमलों में बढ़ोतरी से भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के लिए बड़ा जोखिम पैदा हो गया है। विनिर्माण से लेकर फार्मास्यूटिकल्स तक के उद्योग अधिक असुरक्षित हो गए हैं, क्योंकि वे परिचालन में डिजिटलीकरण का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि मजबूत कानून, भारी प्रतिबंधों और पीड़ितों के फिरौती की मांग का भुगतान करने से इन्कार करने से आपराधिक तरीकों में भी बदलाव आया है। धमकी देने वाले राजस्व के अन्य साधनों को निशाना बना रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, उद्यमों, सरकारों और नागरिकों पर डिजिटल हमला तेज हो रहा है। इससे खतरे का परिदृश्य लगातार बढ़ रहा है। धमकी देने वाले पहले से कहीं अधिक अवसरवादी हैं। वे स्कूलों, राज्य और स्थानीय सरकारों और खुदरा संगठनों को निशाना बना रहे हैं। प्रमुख हमलों ने उद्यमों, शहरों, एयरलाइंस और स्कूलों को प्रभावित किया है। इससे बड़े पैमाने पर सिस्टम के बंद होने के साथ आर्थिक नुकसान भी हुआ है।