जातियों और धर्मों के आधार पर भी होती है तरक्की, यह है इसका उदाहरण
मुंबई- क्या आर्थिक तरक्की के पीछे जाति या धर्म जैसे कारक भी मायने रखते हैं? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए सेंटर फॉर मॉनेटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने इस साल जून में घर-घर जाकर सर्वे किया। इसमें निकलकर आया है कि न सिर्फ जाति या धर्म, बल्कि शहरी या ग्रामीण होना भी असर डालता है।
सर्वे में 10.72% परिवारों ने पिछले एक साल में आर्थिक रूप मजबूत होने की बात कबूली है। लेकिन, जब आंकड़ों को जाति या धर्म के हिसाब से देखा गया तो यह बात गौर करने लायक रही कि जिन लोगों ने इंटरकास्ट मैरिज की है, उनमें से 20% परिवारों ने तरक्की की है। यह औसत सामान्य परिवारों के मुकाबले दोगुना है।
जून 2022 के मुकाबले जून 2023 में ST (अनुसूचित जनजाति) वर्ग ने सबसे तेज तरक्की की है। खास बात यह है कि आर्थिक तरक्की पाने वाले इस वर्ग के परिवार शहरों और गांवों में एक समान हैं, जबकि दूसरी जातियों के परिवारों में इसमें बड़ा अंतर है। सामान्य वर्ग के 13.78% परिवार मानते हैं कि पिछले एक साल में उनकी आय बढ़ी है।
CMIE के सर्वे में जैन धर्म से जुड़े 39.9% परिवारों ने माना कि पिछले साल के मुकाबले उनकी आर्थिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा मानने वाले सिख सिर्फ 1% हैं। हिंदू और मुस्लिम परिवारों की आर्थिक तरक्की में कोई खास अंतर नहीं है। तरक्की वाने वाले ईसाइयों का औसत जैनियों के बाद सबसे अच्छा है।
कोरोनाकाल में सबसे अधिक नुकसान शहरों में रहने वाले लोगों का हुआ था, ठीक उसी तरह रिकवरी भी सबसे तेज शहरों में ही रही है। शहरों में रहने वाले 18.23% परिवारों ने माना कि पिछले एक साल में उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। लेकिन, गांवों में ऐसा कहने वाले परिवार सिर्फ 7.02% हैं। ये बात इसलिए अहम है, क्योंकि 65% से ज्यादा आबादी ग्रामीण है।