अंग्रेजों से बदला लेने के लिए टाटा समूह ने शुरू किया था ताजमहल होटल 

मुंबई- मुंबई में समुद्र के किनारे बना होटल ताज अपने भीतर एक लंबा इतिहास समेटे हुए हैं। मुंबई की इस शान को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस होटल के बाहर फोटो खिंचवाने वालों की भीड़ लगी रहती है। जो भी मुंबई घूमने जाता है, वो एक न एक बार ताज का दीदार करने के लिए जरूर जाता है। जो यहां ठहर नहीं पाते, वो बाहर से इसकी खूबसूरती निहारकर लौट जाते हैं।

होटल ताज केवल टाटा समूह की शान नहीं है बल्कि दुनियाभर में भारत के मान को बढ़ा रहा है। इस होटल ने देश की गुलामी से लेकर युद्ध के दर्द को झेला है। आतंक की मार को सहा है, लेकिन आज भी यह उसी बुलंदी , उसी मजबूती के साथ खड़ा है। आज ताज दुनिया का सबसे भव्य होटलों में शुमार है। इसके शुरुआत की कहानी भी दिलचस्प हैं। 

जमशेदजी टाटा अपने एक व्यापारी मित्र के निमंत्रण पर मुंबई के काला घोड़ा इलाके में एक होटल गए थे। लेकिन उन्हें ‘फोर व्हाइट ओनली’ कहकर होटल में घुसने से रोक दिया गया था। होटल के गेट से ही उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया गया कि यहां सिर्फ ‘गोरे’ लोग यानी अंग्रेजों को ही एंट्री मिलती है।  

जमशेदजी टाटा उस वक्त तो अपमान का घूंट पीकर रह गए, लेकिन उन्होंने इस बेइज्जती का बदला लेने का प्रण लिया। उन्होंने फैसला किया कि ऐसा होटल बनाएंगे जहां न केवल भारतीय बल्कि विदेशी भी बिना किसी रोक-टोक के आ-जा सकेंगे। यहीं से शुरुआत हुई होटल ताज की। 

​अंग्रेजों से मिले अपमान का बदला लेने के लिए जमशेदजी टाटा ने भारत के लिए होटल बनाने की ठान ली। बॉम्बे हमेशा से उनके दिल के करीब था। ऐसे में उन्होंने होटल के लिए बॉम्बे में समंदर के किनारे की जगह चुनी। टाटा समूह  के संस्थापक जमशेदजी टाटा ने 1898 में होटल ताज की नींव रखी। 4 सालों में होटल के निर्माण का काम पूरा हो गया। नाम रखने की बारी आई तो उन्होंने आगरा के ताजमहल के नाम पर होटल का नाम ताज पैलेस रखने का फैसला किया।  

पहली बार 16 दिसंबर, 1902 को होटल ताज को मेहमानों के लिए खोला गया। होटल का आर्किटेक्चर आर्किटेक्ट सीताराम खांडेराव वैद्य और डीएन मिर्जा ने किया। बाद में सीताराम की मृत्यु के बाद अंग्रेज आर्किटेक्ट डब्ल्यू ए चैंबर्स ने बाकी बचे काम को पूरा किया। 

​16 दिसंबर 1902 में होटल ताज को पहली बार मेहमानों के लिए खोला गया। पहली बार 17 मेहमानों ने ताज में कदम रखा।। होटल ताज देश का पहला होटल था जिसे बार (हार्बर बार) और दिन भर चलने वाले रेस्त्रां का लाइसेंस मिला था। यह पहला होटल था, जहां बिजली थी। इतना ही नहीं ताज देश का पहला होटल था, जहां इंटरनेशनल स्तर का डिस्कोथेक था। जहां जर्मन एलीवेटर्स लगाए गए थे। यह पहला होटल था, जहां अंग्रेज बटलर्स हायर किए गए थे। पहले होटल का किचन फ्रेंच शेफ संभालते थे। टाटा ने अंग्रेजों को हायर किया। 

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