कभी 12000 करोड़ के मालिक थे, अब किराये के घर में, बेटे ने किया बेदखल 

मुंबई- एक वक्त था, जब ‘द कंप्लीट मैन’ से लेकर ‘फील्स लाइक हैवन’ तक का सफर करने वाले रेमंड के बिना शादियां अधूरी रह जाती थी। जब तक दूल्हे को शादी में रेमेंड का सूट न मिले, फंक्शन पूरा नहीं होता था। सूट मतलब रेमंड होता था। 100 साल पहले शुरू हुए इस देसी ब्रांड ने दुनियाभर में अपना डंका बजाया। कभी अपनी सक्सेस को लेकर तो कभी विवादों के कारण।  

ये कंपनी संपत्ति विवाद को लेकर खूब चर्चा में रही। जिस शख्स ने रेमंड को घर-घर तक पहुंचाया, उसे खुद घर से बेघर होना पड़ा। तरक्की के सातवें आसमान पर पहुंचे रेमंड के मालिक अपने 34 मंजिला जेके हाउस से बेघर होकर किराए के मकान में रहने को मजबूर हो गए। रेमंड को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले विजयपत सिंघानिया की इसी दौर से गुजर रहे हैं। 

रेमंड कंपनी की कहानी 100 साल पहले शुरू हुई। साल 1900 में महाराष्ट्र के ठाणे में एक वुलन मिल के तौर पर इस कंपनी की नींव रखी गई, जिसका नाम वाडिया मिल रखा गया। साल 1925 में मुंबई के एक कारोबारी ने इस मिल को खरीदा, लेकिन साल 1940 में कैलाशपत सिंधानिया ने उनसे वाडिया मिल खरीद लिया, जिसका नाम रेमंड मिल रखा गया। सिंघानिया परिवार राजस्थान के छोटे से इलाका शेखावटी के रहने वाले थे।  

रेमंड की शुरुआत की कहानी सौ साल पहले शुरू हुई जो धीरे-धीरे बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ता चला गया। कैलाश सिंघानिया ने सस्ते वुलन कपड़े बनाने शुरू किए। उन्होंने फैब्रिक पर फोकस किया। साल 1958 में मुंबई में सबसे पहला रेमंड शोरूम खोला गया। 1960 आते-आते रेमंड देश की पहली मिल बन गई, जहां कपड़ा विदेशी मशीनों से तैयार किया जाता था। ‘द कंप्लीट मैन’ से लेकर ‘फ़ील्स लाइक हैवन’ तक हर बार इसी टैगलाइन ने लोगों को रेमंड से जोड़ा। साल 1980 में विजयपत सिंघानिया ने रेमंड की कमान संभाली। 1986 में सिंघानिया ने फैब्रिक के अलावा पार्क एवेन्यू लॉन्च किया। 1990 में विजयपत सिंघानिया ने भारत के बाहर पहला शोरूम खोला।

साल 2015 में विजयपत सिंघानिया ने अपने सारे शेयर अपने बेटे गौतम सिंघानिया को दे दिए। इन शेयरों की कीमत उस वक्त 1000 करोड़ रुपये थी। 12000 करोड़ की कंपनी उन्होंने बेटे को सौंप दी।  

विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे गौतम सिंघानिया के बीच एक फ्लैट को लेकर विवाद शुरू हुआ था, जिसे विजयपत सिंघानिया बेचना चाहते थे, लेकिन गौतम इसे बेचना नहीं चाहते थे। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों के रिश्ते खराब होने लगा। गौतम ने विजयपत सिंघानिया को दरकिनार करना शुरू कर दिया।

विजयपत सिंघानिया को हवाई जहाज से लेकर हेलिकॉप्टर तक का शौक था। उनके पास 5000 घंटो का फ्लाइट एक्सपीरियंस है। 67 साल की उम्र में उन्होंने हॉट एयर बैलून में दुनिया में सबसे ऊंची उड़ान भरने का भी रेकॉर्ड बना लिया। लेकिन बेटे को संपत्ति सौंपने के बाद उन्हें किराए के मकान में शिफ्ट होना पड़ा। बेटे ने कार और ड्राइवर की सुविधा भी छीन ली। जो कभी हवाई जहाज उड़ाते थे, वो पैदल चलने को मजबूर हो गए। इतना ही नहीं नाम के साथ चेयरमैन-एमेरिटस (अवकाशप्राप्त चेयरमैन) लिखने तक का अधिकार छीन लिया।

​विजयपत सिंघानिया कभी मुकेश अंबानी की एंटीलिया से भी ऊंचे घर में रहा करते थे। मुंबई के मालाबार हिल में 37 मंजिला जेके हाउस उनका पता था, लेकिन बेटे ने उन्हें घर से भी बाहर कर दिया। हालात ऐसे है कि उन्हें अपने ही घर में रहने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। 

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