स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम एक साल में 25 फीसदी तक बढ़ा, ऐसे घटा सकते हैं  

मुंबई- हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का प्रीमियम लगातार बढ़ रहा है। सालभर में इसमें 10-25% बढ़ोतरी हो चुकी है। बीमा कंपनियों का दावा है कि इलाज की लागत और इंश्योरेंस क्लेम बढ़ रहे हैं। ऐसे में प्रीमियम बढ़ाना मजबूरी है।  

छोटी राशि का क्लेम लेकर आप नो-क्लेम बोनस (NCB) के हकदार नहीं रह जाते। याद रखें कि हर साल NCB जमा होकर हेल्थ इंश्योरेंस का कवर बढ़ाता है। हालांकि अब कई प्लान में क्लेम लेने के बाद भी NCB बरकरार रहता है। कुछ बीमा कंपनियां लॉयल्टी बोनस और कुछ फिटनेस बोनस भी देती हैं। इससे रिन्यूअल प्रीमियम पर डिस्काउंट मिलता है। 

बेस कवर पर सम इन्श्योर्ड बढ़ाने से प्रीमियम ज्यादा महंगा पड़ता है। इसकी जगह बेस कवर पर सुपर टॉपअप प्लान (STU) लेना सस्ता विकल्प है। 10 लाख की बेस पॉलिसी को 50-90 लाख तक के STU से जोड़ना बेस प्लान पर सम इन्श्योर्ड बढ़ाने की तुलना में 60-70% सस्ता पड़ता है। 

कई बीमा कंपनियां रेस्टोरेशन बेनिफिट देती हैं। मान लीजिए कि आपने 10 लाख का सम इंश्योर्ड खरीदा है और 5 लाख यूज कर लिया। ऐसे में कंपनी सम इन्श्योर्ड को रिस्टोर कर देगी और उसी साल फिर से 10 लाख का सम इंश्योर्ड मिलेगा। यानी इससे जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त कवरेज मिलती है। ये एक तरह का बैकअप प्लान होता है। 

यदि लगे कि मौजूदा बीमा कंपनी पर्याप्त लाभ नहीं दे रही है तो किसी ऐसी कंपनी में पोर्ट करें जहां आपको सारे फायदे मिल पाएं, लेकिन नई कंपनी में जाने से पहले सुनिश्चित कर लें कि उन्होंने हाल ही में प्रीमियम बढ़ाया हो, ताकि 1-2 साल तक आपको प्रीमियम बढ़ने से निजात मिल सके। 

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय सबसे जरूरी बात है कि आप अपनी जरूरतों को समझकर सही हेल्थ इंश्योरेंस को चुनें। इंश्योरेंस कवर की राशि न बहुत ज्यादा और न ही बहुत कम का चुनें। इसके लिए आप एक्सपर्ट की सलाह भी ले सकते हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *