बाढ़ से देश की अर्थव्यवस्था को 15 हजार करोड़ का नुकसान, एसबीआई रिपोर्ट 

मुंबई- हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत कई राज्यों में भारी बारिश से आई बाढ़ ने देश की इकोनॉमी को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ से देश को करीब 15,000 करोड़ रुपए का इकोनॉमिक लॉस यानी आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है। 

SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बाढ़ों से होने वाले भारी नुकसान, साथ ही हाल ही में आए बिपरजॉय साइक्लोन जैसे नेचुरल डिजास्टर्स (प्राकृतिक आपदाओं) देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकल और ज्योग्राफिकल विशेषताएं देश को कई प्राकृतिक खतरों के प्रति संवेदनशील बनाती हैं। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन बाढ़ों के कारण आर्थिक नुकसान की वर्तमान स्थिति का अनुमान लगाया जाना बाकी है। हमारा मानना है कि यह 10,000-15,000 करोड़ रुपए के बीच हो सकता है। अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा ऐसा देश है, जिसे 1990 के बाद से सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है। जिसमें भूस्खलन, तूफान, भूकंप, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाएं शामिल हैं।  

भारत में 1900 के बाद से प्राकृतिक आपदाओं के 764 मामले दर्ज किए गए हैं। 1900 से 2000 तक भारत में 402 प्राकृतिक आपदाएं देखी गईं। वहीं 2001 से 2022 तक भारत में 361 ऐसी घटनाएं हुईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार ऐसी प्राकृतिक आपदाएं आने से आर्थिक तनाव के नए रिकॉर्ड बन गए हैं। प्राकृतिक आपदाओं में भारत में सबसे ज्यादा बाढ़ आती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 41% प्राकृतिक आपदाएं बाढ़ के रूप में आईं हैं। इसके बाद देश में सबसे ज्यादा तूफान आते हैं। 

SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बहुत कम लोग ही ऐसे हैं, जो अपने नुकसान की भरपाई के लिए इंश्योरेंस करवाते हैं। 2022 में प्राकृतिक आपदाओं के कारण वैश्विक स्तर पर कुल 22.56 लाख करोड़ रुपए के घाटे में से 10.25 लाख करोड़ रुपए बीमा द्वारा कवर किया गया था। 

इस हिसाब से 2022 में कुल बीमा का अंतर बढ़कर 12.38 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो कि 10 साल के एवरेज 10.66 लाख करोड़ रुपए से बहुत ज्यादा है। यह बिना बीमा के कुल नुकसान का लगभग 54% है। हालांकि, यह अभी भी बहुत बड़ा अंतर है, यह पिछले 10 सालों के 61% औसत बीमा कवरेज से कम है। भारत में यह प्रोटेक्शन गैप का आंकड़ा 92% है। यानी सिर्फ 8% लोग ही ऐसे हैं, जो बीमा करवाते हैं। 

रिपोर्ट में इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़े नेचुरल डिजास्टर रिस्क के लिए एक ‘डिजास्टर पूल’ की जरूरतों पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि अगर हम भारत में 2020 की बाढ़ की बता करें तो टोटल आर्थिक नुकसान 52,500 करोड़ रुपए का हुआ था, लेकिन इंश्योरेंस कवर सिर्फ 11% था। 

MSME सेक्टर में देश में केवल 5% यूनिट्स ही बीमाकृत हैं। इस सेक्टर को काफी हाई लेवल की प्रोटेक्शन की जरूरत है। रिपोर्ट में MSME कर्मचारियों को कवर करने, उनके परिवारों के लिए बीमा लाभ और इनकम प्रोटेक्शन के टर्म में सोशल सिक्योरिटी प्रोवाइड करने के लिए सरकार के साथ एक पार्टनरशिप प्रोग्राम का सुझाव भी दिया गया है। 

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