फ्रांस और भारत के बीच दोस्ती का नया दौर, दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता
पेरिस- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। इस दौरान आज वे फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस बैस्टिल डे परेड में भी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। यह दूसरी बार है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री को परेड में गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में आमंत्रित किया गया है। पीएम मोदी के इस दौरे को भारत और फ्रांस के बीच मजबूत होते संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों रक्षा, व्यापार और निवेश सहित कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इतना ही नहीं, भारत और फ्रांस में राफेल एम और स्कॉर्पीन पनडुब्बी की डील भी फाइनल होगी। पीएम मोदी की इस यात्रा को दोनों देशों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों के जश्न के तौर पर भी देखा जा रहा है।
हाल के वर्षों में लगातार मजबूत हो रहे भारत-फ्रांस संबंध का एक लंबा और समृद्ध इतिहास है। रक्षा सहयोग से लेकर व्यापार संबंधों और जलवायु परिवर्तन तक, भारत और फ्रांस ने कई वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने के जश्न के साथ भी मेल खाती है।
फ्रांस के बैस्टिल डे परेड में भारतीय सेना की भागीदारी 100 साल पुरानी है। भारत के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 1.3 मिलियन से अधिक भारतीय सैनिकों (ब्रिटिश भारत और फ्रांसीसी भारत दोनों से) ने प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया था। इनमें से कई सैनिकों ने फ्रांसीसी धरती पर फ्रांस के सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी थी।
फ्रांस, भारत का दूसरा सबसे बड़ा डिफेंस सप्लायर है। फ्रांस 1950 के दशक से सैन्य विमान क्षेत्र में भारत के लिए एक विश्वसनीय भागीदार रहा है। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में पहली पीढ़ी के डसॉल्ट ऑरागन लड़ाकू विमान की खरीद से लेकर हाल की पनडुब्बी और राफेल-एम सौदे तक भारत ने फ्रांस से कई हथियार खरीदे हैं। इनमें स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी, मिराज-2000 लड़ाकू विमान, राफेल लड़ाकू विमान प्रमुख हैं।
भारत ने अपनी वायु सेना की ताकत बढ़ाने के लिए फ्रांस से 1985 में डसॉल्ट मिराज 2000 विमान खरीदा था। यह वही लड़ाकू विमान है, जिसने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान हिमालय की पहाड़ियों के ऊपर छिपे पाकिस्तानी दुश्मनों पर बमबारी की थी। इसके अलावा इस विमान ने 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के दौरान पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकवादी शिविरों क निशाना बनाया था। इसके अलावा फ्रांस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर स्वदेशी उत्पादन क्षमताओं और संयुक्त उद्यमों के जरिए भारत के रक्षा आधुनिकीकरण के प्रयासों में सहायता कर रहा है।
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में 1998 में भारत ने पोखरण परमाणु परीक्षण किया था। इस परीक्षण के कारण दुनिया ने भारत से मुंह मोड़ लिया था। उस वक्त भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य होने के बावजूद भारत का समर्थन करने वाला फ्रांस पहला देश था। फ्रांस ने अमेरिकी प्रतिबंधों को धता बताकर उसी दौरान भारत के साथ नागरिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किया। अगस्त 2019 में जब भारत ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किया, तब भी फ्रांस ने खुलकर भारत का साथ दिया।
फ्रांस ने सबसे पहले कहा था कि यह फैसला भारत का आंतरिक मामला है। इसके अलावा, फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया है। फ्रांस ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल होने के लिए अपना समर्थन दोहराया है और वैश्विक क्षेत्र में भारत को प्रमुख खिलाड़ी बताया है।
भारत और फ्रांस के बीच बहुत पुराना रणनीतिक संबंध है। यह संबंध दोनों देशों की रणनीतिक स्वायत्तता और राष्ट्रों की संप्रभुता के सम्मान की साझा इच्छा से भी पोषित हैं। सितंबर 2022 में चीन से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद भारत और फ्रांस विकास परियोजनाओं को शुरू करने और रणनीतिक सहयोग का विस्तार करने के लिए एक इंडो-पैसिफिक त्रिपक्षीय ढांचा स्थापित करने पर सहमत हुए। इस बैठक के दौरान फ्रांसीसी विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना ने इस बात पर जोर डाला कि कैसे फ्रांस और भारत दोनों चीन के बढ़ते प्रभाव पर समान चिंताओं को साझा करते हैं।
भारत और फ्रांस आर्थिक रूप से भी एक दूसरे के बड़े सहयोगी हैं। अप्रैल 2000 से सितंबर 2022 तक 10,389 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल एफडीआई स्टॉक के साथ फ्रांस भारत में 11वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है। 1,000 से अधिक फ्रांसीसी व्यवसाय भारत में काम कर रहे हैं और 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कारोबार कर रहे हैं। वर्तमान में भारत और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 10.7 बिलियन यूरो है।