आलू से भी कम है दशहरी आम का दाम, रोड पर फेंक रहे हैं यूपी के कारोबारी
मुंबई- बाजार में कमजोर खरीदी और विदेशी कद्रदानों की बेरुखी के चलते मशहूर दशहरी आम की कीमत इस साल औंधे मुंह गिर गयी हैं। बीते कई सालों के मुकाबले इस साल दशहरी की कीमतों में अप्रत्याशित कमी देखी जा रही है। हालात यह है कि उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र काकोरी-मलिहाबाद की थोक मंडियों में दशहरी की कीमत आलू से भी कम चल रही है।
लागत न निकलते देख कर कई कारोबारियों ने अपने आम मलिहाबाद में सड़कों के किनारे फेंक दिए हैं। बीते सप्ताह थोक मंडी में औसत आकार की दशहरी की कीमत महज दस रुपये लगी जो बीते कई सालों के मुकाबले सबसे कम है। विदेशों में दशहरी की अच्छी खपत वाले देशों ओमान और थाईलैंड में न के बराबर माल गया है जबकि कई अन्य देशों में भी निर्यात के नाम पर बस खानापूरी ही हो पायी है।
कारोबारियों का कहना है कि दिल्ली और मुंबई में तो दशहरी भेजा गया है पर उससे कीमतों पर बहुत असर नहीं पड़ा है। बड़ी साइज का दशहरी भी मुंबई व दिल्ली में 30-35 रुपये किलो की कीमत पर गया है तो स्थानीय मंडी में बस 20 से 25 रुपये की कीमत लग पाई है।
दशहरी की सीजन खत्म होने में बस एक सप्ताह का समय बचा है और कीमतों में जिस कदर गिरावट देखी जा रही है उसे देखते हुए कारोबारियों को आगे चौसा व सफेदा आम से भी बहुत उम्मीदें नहीं रह गयी हैं। मलिहाबाद में आम के कारोबारी और नफीस नर्सरी के मालिक शबीहुल हसन बताते हैं कि दो साल कोविड महामारी के चलते निर्यात करीब-करीब बंद रहा और उसके बाद पिछले साल फसल में कीड़े के चलते विदेशी खरीददारों ने बेरुखी दिखायी।
लगातार तीन साल के इस गैप के बाद इस साल भी कीड़े के डर से बहुत ज्यादा आर्डर नहीं मिले। उनका कहना है कि सीधी उड़ान सेवा न होने का भी असर निर्यात पर पड़ा है। मालदीव के आर्डर का उदाहरण देते हुए हसन कहते हैं कि मलिहाबाद से आप की खेप वातानुकूलित जहाज में दुबई भेजने के बाद वहां के 45-50 डिग्री के तापमान में खुले में पड़ा रहता है फिर चार घंटे बाद दूसरे जहाज में मालदीव के लिए भेजना होता है। इन हालात में तापमान के उतार चढ़ाव झेलने के बाद नाजुक दशहरी में काले धब्बे की शिकायत आ जाती है।
शबीहुल हसन कहते हैं कि सीधी वायु सेवा न होने के कारण भी बहुत से ऑर्डर कैंसिल करने पड़े हैं। इस बार अकेले उत्तर प्रदेश से 100-150 टन से ज्यादा दशहरी के निर्यात का अनुमान था पर वास्तविक आंकड़े बहुत कम रहेंगे। मलिहाबाद के आढ़तिए इस बार उम्मीद से कहीं अधिक पैदावार को भी दाम गिरने का एक बड़ा कारण बताते हैं।
शबीहुल हसन कहते हैं कि पहले मौसम का हाल देखकर पैदावार की उम्मीद थी जो बाद में लू चलने से बढ़ गयी और आम का आकार भी बड़ा हुआ है इस बार। बाजार के अनुमान से कहीं ज्यादा दशहरी मार्केट में गिरा और खरीददारों ने उस हिसाब से रुचि नहीं दिखायी है।
उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद-काकोरी में करीब 30000 हेक्टेयर में आम के बागान हैं। सामान्य सीजन में प्रदेश में 45 लाख टन आम की पैदावार होती है जिसके इस साल 50 लाख टन होने की उम्मीद है। दशहरी की ही पैदावार पिछले साल के मुकाबले करीब 15 फीसदी ज्यादा हो गयी है जिसके खराब मौसम के चलते कम होने का अंदेशा जताया जा रहा था।