जीएसटी का नियम- ज्यादा आईटीसी का दावा किया तो बताना होगा कारण
मुंबई- जीएसटी परिषद एक नया नियम लाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत कंपनी या कारोबारी को अधिक इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) के दावे का कारण बताना होगा। साथ ही अतिरिक्त राशि सरकारी खजाने में जमा करानी होगी। विधि समिति का विचार है कि सेल्फ जेनरेटेड आईटीसी और जीएसटीआर-3बी रिटर्न में दायर आईटीसी में अगर बहुत अंतर मिलता है तो जीएसटी में पंजीकृत व्यक्ति को इस अंतर के बारे में बताना होगा। या फिर अतिरिक्त आईटीसी को ब्याज के साथ रकम वापस करना होगा।
जीएसटी परिषद की 11 जुलाई को होने वाली 50वीं बैठक में समिति की सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। अभी कारोबारी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा किए गए कर के भुगतान का इस्तेमाल जीएसटीआर-3बी में जीएसटी देनदारी निपटाने के लिए करते हैं। जहां जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3बी में घोषित टैक्स देनदारी में अंतर 25 लाख रुपये या 20 फीसदी की तय सीमा से अधिक है, वहां कारोबारियों को इसकी वजह बताने या शेष कर को जमा कराने के लिए कहा जाएगा।
विधि समिति का विचार है कि पंजीकृत व्यक्ति को जीएसटीआर-1 का मासिक विवरण दाखिल करने की अनुमति तब तक नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि उसने टैक्स अधिकारी को गड़बड़ियों के बारे में संतुष्ट न कर दिया हो या अतिरिक्त आईटीसी दावे को लौटा नहीं दिया हो। इस कदम का उद्देश्य फर्जी चालान के मामलों पर अंकुश लगाना है। जालसाज सामान या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना गलत तरीके से आईटीसी का लाभ उठाने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करते हैं।
जीएसटी परिषद ओपन नेटवर्क डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के जरिये ई-कॉमर्स कारोबार करने वाले आपूर्तिकर्ताओं पर स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) की देनदारी को लेकर स्पष्टीकरण जारी कर सकती है। परिषद इस बैठक में ऐसे आपूर्तिकर्ताओं पर टीसीएस की देनदारी को लेकर स्पष्टीकरण जारी करेगी, जहां एक लेनदेन में कई परिचालक शामिल हैं। अभी इसपर कोई स्पष्टता नहीं है कि जीएसटी के तहत टीसीएस के अनुपालन का दायित्व किसका होगा।