नई और पुरानी दोनों टैक्स व्यवस्था में मिल सकता है एनपीएस का फायदा
मुंबई- टैक्स सेविंग के लिहाज से नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) निवेश का एक बेहतरीन विकल्प है। इस सरकारी पेंशन स्कीम में दोनों यानी पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। इस स्कीम में इक्विटी में भी एक्सपोजर है। इसलिए रिटायरमेंट के बाद बेहतर रिटर्न की भी गुंजाइश बनती है।
पुरानी टैक्स व्यवस्था (old tax regime) के तहत टियर-I अकाउंट में निवेश पर टैक्स बेनिफिट ऐसे मिलेगा।
-80CCD(1) के तहत टैक्स बेनिफिट
80CCD(1) के तहत एनपीएस में टियर-I अकाउंट में अधिकतम 1.5 लाख रुपये या सैलरीड /वेतनभोगी लोगों की सालाना सैलरी (बेसिक सैलरी प्लस डीए) का अधिकतम 10 फीसदी और गैर वेतनभोगी/ सेल्फ एंप्लॉयड के लिए ग्रॉस टोटल इनकम का अधिकतम 20 फीसदी, दोनों में से जो भी कम हो, के निवेश पर टैक्स में छूट यानी डिडक्शन का फायदा मिलता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपकी सैलरी (बेसिक सैलरी प्लस डीए) 20 लाख है और आप 2 लाख एनपीएस में कंट्रीब्यूट करते हैं। लेकिन आप 80CCD(1) के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये के सालाना निवेश पर ही छूट प्राप्त कर सकते हैं।
80C (लाइफ इंश्योरेंस, पीपीएफ, एनएससी, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम, एसएसवाई, बैंक/ पोस्ट ऑफिस एफडी, एनपीएस, यूलिप, टर्म प्लान, ईएलएसएस, होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट (मूलधन) का रिपेमेंट, दो बच्चों की ट्यूशन फीस…..वगैरह) , 80CCC (एन्युटी/पेंशन प्लान) और 80CCD(1) के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये के सालाना निवेश पर ही टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है।
-80CCD (1b) के तहत टैक्स बेनिफिट
80CCD (1b) के तहत एनपीएस टियर-I अकाउंट में किए गए 50 हजार रुपये के निवेश पर 80CCD (1) की लिमिट/सीमा के अतिरिक्त टैक्स में छूट है। कुल मिलाकर आप एक वित्त वर्ष में एनपीएस में अधिकतम 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं। अगर आपने 80C और 80CCC के तहत कुल मिलाकर सालाना 1.5 लाख रुपये तक की लिमिट तक निवेश कर लिया है तो भी आप 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में 50 हजार रुपये के निवेश पर अलग से टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं।
–80CCD(2) के तहत टैक्स बेनिफिट
80CCD(2) के तहत एम्प्लॉयर द्वारा एम्प्लॉई के लिए एनपीएस में किए गए योगदान (कंट्रीब्यूशन) पर भी टैक्स में छूट का प्रावधान है। लेकिन टैक्स में छूट प्राइवेट कर्मचारियों को बेसिक सैलरी प्लस डीए के 10 फीसदी योगदान और सरकारी कर्मचारियों को बेसिक सैलरी प्लस डीए के 14 फीसदी योगदान तक की राशि पर ही मिलेगी। 80CCD(2) के तहत डिडक्शन का फायदा सिर्फ वेतनभोगी लोगों को है।
टियर-II अकाउंट में निवेश पर टैक्स बेनिफिट
केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए टियर-II अकाउंट में भी अधिकतम 1.5 लाख रुपये की निवेश की राशि पर 80C के तहत टैक्स में छूट का प्रावधान किया गया है। बशर्ते निवेश का लॉक इन पीरियड कम से कम 3 साल हो।
नई टैक्स व्यवस्था (new tax regime) के तहत टैक्स बेनिफिट
नई टैक्स व्यवस्था में सिर्फ 80CCD(2) के तहत टैक्स बेनिफिट का प्रावधान है। मतलब एम्प्लॉयर द्वारा एम्प्लॉई के लिए एनपीएस में किए गए योगदान पर डिडक्शन का फायदा मिलता है। लेकिन यह फायदा प्राइवेट एम्प्लॉई को एम्प्लॉयर की तरफ से उसकी बेसिक सैलरी के 10 फीसदी योगदान तक की राशि पर ही मिलेगी। जबकि सरकारी कर्मचारियों के लिए एम्प्लॉयर की तरफ से बेसिक सैलरी प्लस डीए के 14 फीसदी योगदान पर।
एनपीएस पर टैक्स
एनपीएस भी पीपीएफ (PPF), ईपीएफ (EPF) और एसएसवाई (SSY) की तरह ईईई (EEE) यानी एक्जेंम्प्ट-एक्जेंम्प्ट-एक्जेंम्प्ट कैटेगरी में है। यानी जहां न तो जमा करने पर, न निकासी और न मिलने वाले ब्याज पर टैक्स है। मतलब अधिकतम 60 फीसदी विड्रॉल पर टैक्स में छूट है। एनपीएस में कुल मैच्योरिटी की 60 फीसदी रकम को ही निकालने की इजाजत है। बाकी 40 फीसदी मैच्योरिटी की रकम को एन्युटी/पेंशन प्लान में निवेश करना होता है।
एन्युटी पर टैक्स
हालांकि एन्युटी में निवेश की रकम टैक्स-फ्री है लेकिन एन्यूटी के तहत रिटर्न के तौर पर मिलने वाले नियमित आमदनी/ पेंशन पर टैक्स में कोई छूट नहीं है। मतलब रिटर्न के तौर पर मिलने वाली नियमित राशि निवेशक की सालाना आमदनी में जुड़ जाती है और टैक्सपेयर को टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है।