चुनाव में मोदी की संभावित जीत पर एफआईआई भारतीय बाजार में कर रहे निवेश 

मुंबई- इस साल भारतीय शेयर बाजार में लगातार विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) दांव लगा रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण अगले साल गर्मियों में होने वाले आम चुनाव में नरेंद्र मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने की संभावना है। यूबीएस सिक्योरिटीज के एक अध्ययन में कहा गया है कि अधिकांश वैश्विक निवेशकों ने मोदी की जीत पर दांव लगाया है। हालांकि, दिसंबर तिमाही में होने वाले कई राज्यों के चुनावों के नतीजों को उन्होंने पहले ही नजरअंदाज कर दिया है। 

स्विस ब्रोकरेज यूबीएस सिक्योरिटीज ने50 से अधिक अमेरिकी और यूरोपीय एफपीआई के साथ बैठक की। इस बैठक के आधार पर ब्रोकरेज फर्म का कहा है कि अधिकांश निवेशक भारत को लेकर काफी आशावादी हैं। मार्च 2023 से उनका इक्विटी में निवेश 9.5 अरब डॉलर हो गया है। भारत के आशावाद का एक अन्य कारण मैक्रो जोखिमों में नरमी भी है। 

यूबीएस इंडिया की अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा कि यह आशावाद इस साल अब तक उभरते बाजारों की तुलना में घरेलू बाजारों के 4.6 प्रतिशत कम प्रदर्शन के बावजूद है। यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया के रणनीतिकार सुनील तिरुमलाई के अनुसार, यह आशावाद अपेक्षाकृत बेहतर आर्थिक, राजनीतिक और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण की धारणा से प्रेरित है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात मजबूत घरेलू प्रवाह की हकीकत है। 

बढ़ती बैंक दरों को देखते हुए यूबीएस का देश और इसके इक्विटी बाजार पर एक सतर्क दृष्टिकोण है, जो कमजोर विकास और निवेश पर रिटर्न की उम्मीदों के साथ-साथ लोगों को इक्विटी बाजार से कहीं और पैसा लगाने के लिए मजबूर कर सकता है। इस वजह से इसने निफ्टी का लक्ष्य इस साल के लिए घटाकर 18,000 कर दिया था, जबकि वर्तमान में यह इससे ऊपर कारोबार कर रहा है। 

चाइना प्लसवन रणनीति के बारे में इन निवेशकों का विचार था कि मध्यम से दीर्घावधि में आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थानांतरित करने के माध्यम से देश एक प्रमुख लाभार्थी के रूप में उभर सकता है। इस तरह के बहुत से लाभ संरचनात्मक सुधार करने की भारत की क्षमता पर निर्भर करेगा। 

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