भारत में फोन बनाने वाली चीन की कंपनियों को भारतीय को बनाना होगा भागीदार 

मुंबई- केंद्र सरकार ने चीनी मोबाइल फोन निर्माताओं को अपने लोकल ऑपरेशन में भारतीय इक्विटी पार्टनर्स को शामिल करने के लिए कहा है। सरकार ने इन कंपनियों से कहा है कि वे अपनी कंपनियों में महत्वपूर्ण पदों के लिए भारतीय कर्मचारी को चुनें। 

चीनी स्मार्टफोन निर्माता फर्मों को भारतीय अधिकारियों को मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मुख्य परिचालन अधिकारी, मुख्य वित्तीय अधिकारी और मुख्य तकनीकी अधिकारी आदि पदों पर नियुक्त करने के लिए कहा गया है। सरकार ने उन्हें भारतीय कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग कार्य सौंपने, लोकल बिजनेस को शामिल करने वाली मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस को विकसित करने और स्थानीय वितरकों के माध्यम से देश से निर्यात को बढ़ाने का भी निर्देश दिया है। 

मीटिंग में, इस बात पर भी जोर दिया गया कि चीनी कंपनियां टैक्सेशन से संबंधित सभी नियमों का पालन करेंगी। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने शाओमी, ओपो, रियलमी और वीवो सहित कई चीनी फर्मों को ये निर्देश जारी किए। 

बैठक का आयोजन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के सदस्य भी मीटिंग में मौजूद थे, जो स्मार्टफोन निर्माताओं का लॉबी समूह है। 

मीटिंग इसलिए हुई क्योंकि कुछ चीनी स्मार्टफोन कंपनियों पर टैक्स का भुगतान न करने और अवैध रूप से धन भेजने के लिए जांच की जा रही थी, जिसमें हजारों करोड़ की हेरफेर हुई है। दुकानों में फोन बेचने वाले लोग सरकार से उनके लिए चीजों को निष्पक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार फोन पर बड़ी छूट देने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई करे। 

सरकार सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग में ही नहीं बल्कि सभी लेवल पर भारतीय इक्विटी पार्टनर चाहती है, जिसमें सेल्स, मार्केटिंग आदि शामिल हैं। चीनी स्मार्टफोन कंपनियों का वर्तमान में भारत में अपना ऑपरेशन है। सरकार इसे बदलना चाहती है और चाहती है कि ये कंपनियां स्थानीय लोगों और संसाधनों के साथ काम करें। वे चाहते हैं कि कंपनियां भारत को बढ़ने में मदद करें और भारत को अपना एक्सपोर्ट बेस बनाएं। 

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