जान बूझकर कर्ज न चुकाने वालों को भी मिलेगा लोन, आरबीआई की योजना
मुंबई। अगर आपने जान बूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया है तो भी आपको नया लोन मिल सकेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को एक दिशा निर्देश में कहा, बैंक ऐसे कर्जदार की पहचान करें और उनके साथ सेटलमेंट करें। यह सेटलमेंट होने के 12 महीने बाद बैंक कर्जदारों को लोन दे सकते हैं। हालांकि, बैंक बोर्ड चाहे तो इस अवधि को और ज्यादा बढ़ा सकता है।
आरबीआई के मुताबिक, सभी विनियमित संस्थाओं (आरई) को उधारकर्ताओं के साथ-साथ तकनीकी राइटऑफ का समझौता करने के लिए बोर्ड की मंजूर नीतियों को लागू करने की जरूरत होगी। सभी समझौता निपटान और तकनीकी राइटऑफ के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित करें। शर्तों में न्यूनतम उम्र बढ़ने, गारंटी मूल्य में गिरावट आदि शामिल होंगे।
आरबीआई ने कोरोना के दौरान डिफॉल्टर होने से बचने के लिए मोराटोरियम का नियम लाया था। यानी इसके तहत कुछ समय तक बैंक आपको डिफॉल्टर की सूची में नहीं डाल सकता था। उसके बाद भी लाखों लोग बैंकों के डिफॉल्टर हो गए। जिसके कारण उन्हें सेटलमेंट करने के बाद भी लोन मुश्किल से मिल पा रहा था। अब आरबीआई के इस फैसले से आम डिफॉल्टर्स को काफी राहत मिलेगी।
बोर्ड की तय की जा सकने वाली उचित सीमा और समय-सीमा के साथ ऐसे मामलों में कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच के लिए नीतियां एक ग्रेडेड फ्रेमवर्क भी स्थापित करेंगी। आरई इरादतन चूककर्ता या धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत खातों के संबंध में ऐसे देनदारों के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही पर विपरीत प्रभाव डाले बिना समझौता समाधान या तकनीकी बट्टे खाते में डाल सकते हैं।
आरबीआई का उद्देश्य आरई के हित में कम खर्च में ज्यादा से ज्यादा रकम की वसूली करना है। केंद्रीय बैंक ने कहा, इस तरह की वसूली या समझौता किसी पूर्वाग्रह के बिना होना चाहिए। इस तरह के दावों को बैलेंसशीट पर किसी भी तरह से मान्यता नहीं दी जाएगी। आरई की बैलेंस शीट पर पहचाने गए ऐसे किसी भी दावे को मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार पुनर्गठित कर्ज माना जाएगा।