शहरी सहकारी बैंक अब आरबीआई की मंजूरी के बिना भी खोल सकेंगे शाखा 

मुंबई- शहरी सरकारी बैंकों को मजबूत करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चार प्रमुख उपायों को अधिसूचित किया है। इसमें प्रमुख रूप से प्राथमिकता वाले क्षेत्र के कर्ज लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दो साल का और समय मिलेगा। सहकारिता मंत्रालय ने एक बयान में कहा, केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ हुई चर्चा के बाद इसे अधिसूचित किया गया है। 

अपने कारोबार का विस्तार करने के लिए शहरी सहकारी बैंक अब पिछले वित्तीय वर्ष में शाखाओं की संख्या के 10 प्रतिशत तक (अधिकतम 5 शाखाएं) आरबीआई की पूर्व अनुमति के बिना नई शाखाएं खोल सकते हैं। इन बैंकों को अपनी नीति के लिए अपने बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी। वित्तीय रूप से मजबूत और अच्छी तरह से प्रबंधित (एफएसडब्ल्यूएम) मानदंडों का पालन करना होगा। 

आरबीआई ने यूसीबी सहित सभी विनियमित संस्थाओं के लिए इस पहलू को नियंत्रित करने वाले ढांचे को अधिसूचित किया है। अब सहकारी बैंक बोर्ड की मंजूर नीतियों के माध्यम से तकनीकी राइट-ऑफ के साथ-साथ उधारकर्ताओं के साथ एकमुश्त निपटान की प्रक्रिया प्रदान कर सकते हैं।देश में 1,514 शहरी सहकारी बैंक हैं। 

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