करदाताओं का 90 हजार करोड़ रुपये सरकार देगी बीएसएनएल को  

मुंबई- केंद्र सरकार ने खस्ताहाल सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीएसएनएल को 89,047 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है। इस राशि से बीएसएनएल को बेहतर बनाया जाएगा। ताकि लोगों को तेज और बेहतर इंटरनेट सेवा मिल सके।  

बीएसएनएल के ग्राहकों का एक्सपिरियेंस बेहतर हो सके। इसके सथ ही सरकार इक्विटी इन्फ्युजन के जरिए BSNL को 4G/5G स्पेक्ट्रम भी देगी। मतलब कि इस कंपनी के कायाकल्प की तैयारी है। लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि एक मरे हुए हाथी जैसी कंपनी को जिंदा करने के लिए टैक्सपेयर्स का करीब 90 हजार करोड़ रुपये लगाना ठीक है, वह भी वर्तमान परिस्थितियों में? 

बीएसएनएल की देश भर में तो पहुंच है। लेकिन यह कंपनी अब टेलीकॉम सर्विस देने में रेस से पिछड़ चुकी है। इसकी प्रतिस्पर्धी कंपनियां जहां 5जी की तरफ मजबूत कदम बढ़ा चुकी हैं, वहीं यह अभी भी 3जी सेवा भी ढंग से नहीं दे पा रही है। लापरवाही या सुस्ती का आलम यह है कि इसके वर्तमान एक्सचेंज में लाइट जाने के बाद जनरेटर चलाने के लिए डीजल की सप्लाई नहीं हो पाती। इसके आउटसोर्सिंग या ठेके पर रखे गए स्टाफ को नियमित पैसा नहीं मिल पाता है।  

इसके पास पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं हैं। जो पुराने या रिटायर हो चुके कर्मचारी अभी कंपनी के दफ‌्तरों में तैनात हैं, उनकी ग्राहक सेवा के प्रति कोई जिम्मदारी नहीं दिखती है। वे सिर्फ नौकरी करने के लिए काम कर रहे हैं। 

यूं तो बीएसएनएल का फुल फार्म भारत संचार निगम लिमिटेड है। इसके लैंड लाइन फोन अब सिर्फ सरकारी दफ‌्तरों की शोभा बढ़ाते हैं। अधिकतर प्राइवेट ग्राहकों ने इसका कनेक्शन कटवा दिया है। ऐसे में कंपनी को नियमित रूप से आमदनी नहीं मिल पाती। 

इस समय टेलीकॉम सेक्टर की जियो, एयरटेल और वोडाफोन जैसी कंपनियों ग्राहकों को काफी सुविधा दे रही हैं, वहीं बीएसएनएल के ग्राहकों को निर्बाध कनेक्टिविटी भी नहीं मिल पाती है। निजी कपंनियों ने बीएसएनएल के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। इसके अधिकतर इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रोपर मेंटनेंस भी नहीं हो पा रहा है। इस समय इसके पास कुल 60104 कार्मिक हैं। इनमें से आधे से ज्यादा मतलब 30354 अधिकारी हैं। शेष 29750 कर्मचारी हैं। 

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