सऊदी अरब के फैसले से भारत में महंगा हो सकता है पेट्रोल और डीजल
मुंबई-दुनिया भर में फैल रही मंदी की आशंका के बावजूद सऊदी अरब तेल उत्पादन में रोजाना दस लाख बैरल की और कमी करेगा। कीमतों को बढ़ाने के लिए उत्पादन में कमी की जाएगी। इस फैसले से सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें दो फीसदी उछल गईं और ब्रेंट क्रूड 78.73 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
सऊदी अरब ने यह घोषणा कच्चे तेल निर्यातक देशों के 13 सदस्यीय संगठन (ओपेक) और रूस के नेतृत्व में इसके 10 भागीदारों की बैठक के बाद की है। विश्लेषकों के मुताबिक, सऊदी के उत्पादन में कटौती का फैसला सभी के लिए चौंकाने वाला है। सऊदी अरब ने फैसला किया है कि वो साल 2024 तक प्रति दिन 5 लाख बैरल कटौती को आगे बढ़ाएगा। इसके साथ ही प्रतिदिन 10 लाख बैरल की अतिरिक्त कटौती करेगा।
इराक 2024 तक प्रति दिन 2.11 लाख बैरल कटौती को आगे बढ़ाएगा। रूस 2024 तक स्वैच्छिक उत्पादन कटौती को आगे बढ़ाएगा। ओपेक प्रतिदिन 40.5 मिलियन बैरल के नए उत्पादन लक्ष्य से सहमत भी है।
अप्रैल में ओपेक के कई सदस्य उत्पादन में 10 लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक की कटौती करने पर सहमत हुए थे। वहीं, एक और कटौती भारत जैसे आयातक देशों के लिए परेशानी बढ़ा सकती है, क्योंकि सस्ते क्रूड के बाद भारत में उम्मीद थी कि पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में कटौती होगी। ऐसे में भारत में ईंधन की कीमत समीक्षा में देरी होगी। भारत में 14 माह से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर हैं। इस समय दिल्ली में पेट्रोल 96.72 रुपये और डीजल 89.62 रुपये लीटर है।
पिछले दिनों भारत को आयातित तेल के लिए औसतन 72 डॉलर प्रति बैरल की दर से भुगतान करना पड़ रहा था। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की जा सकती है। सरकारी तेल कंपनियां अपने नुकसान की भरपाई कर रही थीं। पिछले माह अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें और खुदरा बिक्री मूल्य बराबर हो गए थे। अब कीमतें बढ़ने के साथ, लागत और बिक्री मूल्य में फिर अंतर आ जाएगा।