केवाईसी अपडेट नहीं होने पर खातों को बंद नहीं कर सकते बैंक, मृतक के परिजनों के दावे को ऑनलाइन निपटाना होगा
मुंबई- आने वाले समय में बैंकों के ग्राहकों को काफी सहूलियत होने वाली है। आरबीआई के नियुक्त पैनल ने सिफारिश की है कि केवाईसी अपडेट न होने पर खातों को बैंक बंद न करें। साथ ही मृतकों के परिजनों के दावों को ऑनलाइन निपटाने की व्यवस्था करें। पेंशनधारकों के जीवन प्रमाणपत्र के लिए भी आसान व्यवस्था बनाएं।
आरबीआई ने पिछले साल मई में पूर्व डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो के नेतृत्व में एक समिति की गठन किया था। इस समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसने यह सुझाव दिया है कि कर्ज खाता बंद होने के बाद कर्जदारों को संपत्ति के दस्तावेज लौटाने की एक समय सीमा होनी चाहिए। यह समय नहीं देने पर बैंक पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए। संपत्ति के दस्तावेज खो जाने की स्थिति में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को न केवल उनकी लागत पर दस्तावेजों की प्रमाणित पंजीकृत प्रतियां पाने में मदद के लिए बाध्य होना चाहिए, बल्कि ग्राहक को पर्याप्त मुआवजा भी देना चाहि
समिति ने पेंशनधारकों के लाभ के लिए भी कुछ सुझाव दिए हैं। इसके मुताबिक, पेंशनभोगियों को अपने बैंक की किसी भी शाखा में जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की सुविधा देनी चाहिए। उन्हें भीड़ से बचने के लिए अपनी पसंद के किसी भी महीने में इस प्रमाणपत्र को जमा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह नियम सारे बैंकों और आरबीआई की रेगुलेटेड संस्थाओं पर लागू होगा।
समिति ने कहा, वेतन भोगियों की आय और निकासी के प्रोफाइल के आधार पर उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत करने की आवश्यकता नहीं है। छात्रों को कम जोखिम वाली कैटेगरी में रख सकते हैं। भले ही वे हाई नेटवर्थ वाले हों। समिति ने पिछले तीन वर्षों में प्राप्त शिकायतों की समीक्षा की। इसमें पाया कि सालाना लगभग एक करोड़ शिकायतें मिली हैं।
जिन कर्मचारियों या अधिकारियों का सामना हमेशा ग्राहकों से होता है, गलत दुर्व्यवहार की घटनाओं को कम करने के लिए इन लोगों को अनिवार्य प्रशिक्षण से गुजरना चाहिए। समिति ने ग्राहक सेवा को मजबूत करने के लिए तकनीकी सेवाओं को भी मजबूत करने की सिफारिश की है।
विभिन्न बैंकों में पिछले दिनों पाई गई खामियों के बाद आरबीआई के डिप्टी गवर्नर राजेश्वर राव ने कहा कि बैंकों के प्रशासनिक ढांचे की कमियां दूर करने के लिए यह सही समय है। इस मोड़ पर भारत में बैंकिंग क्षेत्र मजबूत, जोखिमों का सामना करने के लिए तैयार और वित्तीय रूप से सशक्त है। 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनने की योजना बना रहा है, ऐसे में बेहतर भविष्य के लिए प्रशासनिक ढांचे और रणनीति की खामियों को दूर करने के लिए यह सही समय है।
राव की यह टिप्पणी आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के उस बयान के कुछ दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करने के बावजूद केंद्रीय बैंक ने बैंकों के कॉरपोरेट प्रशासन में कुछ खामियां पाई हैं। उन्होंने सलाह दी थी कि बैंकों के बोर्ड और प्रबंधन को इस तरह की खामियों को पनपने नहीं देना चाहिए।
राव ने कहा, अच्छी और सर्वश्रेष्ठ प्रैक्टिस बैंकिंग क्षेत्र में एक अच्छा वित्तीय संस्थान खड़ा करने में बहुत बड़ा कारक साबित होती है। बैंकों के बोर्ड को इन पहलुओं पर पूरा ध्यान देना चाहिए। वित्तीय संस्थानों को बेहतर भविष्य के लक्ष्य को पाने के लिए काफी अधिक वित्तीय साधनों की जरूरत होगी।