पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देश भारत में निवेश पर लगाएं दांव
मुंबई- दुनिया के जितने भी देश आज 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था के आंकड़े को पार किए हैं, उन सभी का शेयर बाजार तब बेहतर प्रदर्शन किया जब वे दो लाख करोड़ डॉलर से पांच लाख करोड़ डॉलर की यात्रा पूरी किए। आंकड़े बताते हैं कि तीन प्रमुख देशों अमेरिका, चीन और जापान इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं।
चीन की अर्थव्यवस्था 2004 से 2009 के बीच दो लाख करोड़ डॉलर से पांच लाख करोड़ डॉलर हुई। इस दौरान इसका शेयर बाजार हैंगसेंग 8,500 से 32,000 तक पहुंच गया। यानी इसने 5 साल में 4 गुना की वृद्धि हासिल की। जापान की अर्थव्यवस्था 1978 में दो लाख करोड़ डॉलर की थी और 8.5 साल बाद 1986 में यह पांच लाख करोड़ डॉलर की बनी। 1978 से 1991 के दौरान इसके शेयर बाजार ने 14 गुना का वृद्धि हासिल की। यह 2000 से बढ़कर 37,000 पर पहुंच गया।
अमेरिका का भी हाल कुछ ऐसा ही रहा है। इसकी अर्थव्यवस्था 1977 में दो लाख करोड़ डॉलर की थी जो 11 साल बाद 1988 में पांच लाख करोड़ डॉलर हुई। इसका शेयर बाजार डाऊजोंस 1977 से 2000 के बीच 15 गुना बढ़ा जो 700 से बढ़कर 12000 के पार पहुंच गया। इस आधार पर देखा जाए तो भारतीय शेयर बाजार का भी कुछ ऐसा ही रुझान है। अक्तूबर, 2021 में सेंसेक्स ने पहली बार 62,000 के आंकड़े को पार किया। इसके बाद इसने 63 हजार के भी आंकड़े को पार किया। भारत की अर्थव्यवस्था इस समय करीब 3.5 लाख करोड़ डॉलर की है जो 2026-27 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की हो जाएगी।
दुनिया के कई देशों के अगर पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था और शेयर बाजारों के रुझान को देखें तो इस आधार पर भारतीय शेयर बाजार चार साल में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। ब्रोकरेज हाउसों का मानना है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स दो-तीन साल में एक लाख के आंकड़े को पार कर सकता है। यहां से 40 फीसदी का रिटर्न मिलने की उम्मीद है। कोरोना के समय जब पूरी दुनिया के बाजार टूटे थे, उस समय से भारतीय बाजार ने करीब ढाई गुना की वृद्धि हासिल की है। मार्च, 2020 में कोरोना के समय सेंसेक्स 26 हजार से नीचे चला गया था जो अब 63 हजार के करीब है।
विश्लेषकों का मानना है कि शेयर बाजार के इस माहौल में इक्विटी सेविंग्स फंड में निवेश बेहतर हो सकता है। इसमें कम से कम तीन एसेट क्लास होते हैं जिनके जरिए आपको विविधीकरण का फायदा मिलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर सेगमेंट में निवेश का जो हिस्सा है, वह बदलता रहता है। यही कारण है कि इस फंड में निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिलता है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इक्विटी सेविंग्स फंड इस सेगमेंट में एक बेहतर फंड बनकर उभरा है। यह विविधीकरण का एक तरीका है।
आम तौर पर, इक्विटी आवंटन के लिए फंड मैनेजर लार्ज कैप पसंद करते हैं। जब डेट की बात आती है, तो आवंटन एएए रेटेड पेपर या कम अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में होता है। इसके अलावा, आर्बिट्राज के माध्यम से स्कीम के फंड मैनेजर इक्विटी बाजार के कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट में मूल्य निर्धारण क्षमता का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। इससे एक निश्चित सीमा तक इक्विटी जोखिम की हेजिंग होती है और अस्थिरता को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है।