तीसरी औद्योगिक नीति बनाने के लिए अंतर मंत्रालयी विचार–विमर्श जारी
मुंबई- सरकार नई औद्योगिक नीति बनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श कर रही है। एक वरिष्ठअधिकारी ने कहा, नई औद्योगिक नीति का उद्देश्य वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल तैयार करना है, ताकि विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। यह तीसरी औद्योगिक नीति होगी। पहली औद्योगिक नीति 1956 में तथा दूसरी औद्योगिक नीति 1991 में बनी थी।
नई औद्योगिक नीति दूसरी नीति का स्थान लेगी, जिसे 1991 में भुगतान संतुलन संकट के समय तैयार किया गया था। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा, यह नए बन रहे उद्योगों पर केंद्रित होगी। प्रस्तावित नीति वैश्विक स्तर पर प्रगतिशील, नवोन्मेषी और प्रतिस्पर्धी औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने पर सुझाव देगी।
नीति के छह मुख्य उद्देश्यों में प्रतिस्पर्धा और क्षमता, आर्थिक एकीकरण और वैश्विक मूल्य श्रृंखला को आगे बढ़ाना, भारत को दुनिया में एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में पेश करना, नवाचार एवं उद्यमिता का पोषण और एक सतत पारिस्थितिकी तंत्र को शामिल करना है। विचार-विमर्श की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।