बैंकों के बोर्ड मजबूत जोखिम प्रबंधन रणनीतियों का करें पालन-आरबीआई
मुंबई। बैंकिंग सेक्टर में कॉरपोरेट गवर्नेंस को लेकर आरबीआई ने कड़ा रूख अपनाया है। एक दिन पहले ही आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के बयान के बाद अब डिप्टी गवर्नर एमके जैन ने कहा है कि बैंकों के बोर्डों को मजबूत जोखिम प्रबंधन रणनीतियों का पालन करना चाहिए। किसी भी संभावित जोखिम की तैयारी करते समय अनुपालन और प्रभावी शासन पर जोर देना चाहिए।
एमके जैन ने निजी बैंकों के निदेशकों के सम्मेलन में कहा, बैंक की प्रतिष्ठा और वित्तीय स्थिरता की रक्षा के लिए प्रभावी जोखिम प्रबंधन, शासन और अनुपालन आवश्यक हैं। एक प्रभावी शासन के लिए एक सक्षम और स्वतंत्र बोर्ड की जरूरत होती है। जो जोखिम को ध्यान में रखते हुए उचित रणनीति तैयार करके प्रबंधन की देखरेख करता है।
डिप्टी गवर्नर ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने की भी मांग की कि उनके कार्य उद्देश्य और नियमन के सिद्धांतों का पालन करते हैं। बैंकों को अपने कारोबार का लंबी अवधि का नजरिया रखना चाहिए और वित्तीय स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा और व्यापक सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों पर निर्णयों के प्रभाव पर विचार करना चाहिए।
जैन ने कहा, बैंकिंग क्षेत्र की सतत वृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने में निदेशक मंडल की भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया जा सकता है। जमाकर्ताओं, शेयरधारकों, नियामकों और विभिन्न हितधारकों के हितों के संरक्षक के रूप में बोर्डों को एक सक्रिय और रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
भारतीय बैंकों को डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने, ग्राहक अनुभव को बढ़ाने, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और ब्लॉकचैन जैसी नवीन तकनीकों को अपनाना चाहिए। साइबर सुरक्षा उपायों में निवेश करना होगा। डिजिटल युग की मांगों को पूरा करने के लिए अन्य कंपनियों से करार के साथ अपने कर्मचारियों को भी सक्षम बनाना होगा।