आय बढ़ने से आरबीआई का खाता बही 2.5 फीसदी बढ़कर 63.45 लाख करोड़ 

मुंबई- ज्यादा आय होने से आरबीआई की बैलेंसशीट 2022-23 में 2.5 फीसदी बढ़कर 63.45 लाख करोड़ रुपये हो गई है। 2021-22 में यह 61.90 लाख करोड़ रुपये थी। इस दौरान आय 47.06 फीसदी और खर्च 14.05 फीसदी बढ़ा है। विदेशी निवेश में 2.31 फीसदी, सोने में 15.30 फीसदी व कर्ज में 38.33 फीसदी की बढ़त रही। आरबीआई बैलेंसशीट देश की अर्थव्यवस्था के कामकाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है 

सालाना रिपोर्ट में आरबीआई ने मंगलवार को कहा, उसके पास 87,416 करोड़ रुपये का सरप्लस रहा जो केंद्र सरकार को लाभांश के रूप में दे दिया। मार्च, 2023 तक आरबीआई के पास 794.63 मैट्रिक टन सोना था। 31 मार्च, 2022 तक 760.42 मैट्रिक टन था। कुल सोने की कीमत 1.97 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2.31 लाख करोड़ रुपये रही है। 

आरबीआई ने कहा कि अमेरिका और यूरोप में हाल ही में वित्तीय क्षेत्र की उथल-पुथल ने वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक नीति के कठोर होने के संदर्भ में वित्तीय संस्थानों के लचीलेपन के लिए जोखिमों के मूल्यांकन को फिर से जरूरी बना दिया है, इसलिए पूंजी बफर और तरलता की स्थिति की लगातार समीक्षा की जानी चाहिए और इसे मजबूत किया जाना चाहिए। नीतिगत उपाय, जैसे प्रावधानों के लिए अपेक्षित हानि-आधारित दृष्टिकोण की शुरुआत पर दिशानिर्देश 2023-24 के दौरान घोषित किए जाने की संभावना है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता कम हो गई है। मार्च 2023 में कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में बैंकों की विफलता से वित्तीय स्थिरता के जोखिम कम हो गए हैं। दृढ़ नीतिगत कार्रवाइयों ने फिलहाल जोखिम पर रोक लगाया है। 311 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है, भारत की मध्यम अवधि की विकास क्षमता में सुधार के लिए संरचनात्मक सुधारों को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। मौद्रिक नीति के रुख के साथ और अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तरलता प्रबंधन संचालन करेगा। 

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) रिटेल और थोक में चल रहे पायलट प्रोजेक्ट को विभिन्न उपयोग के लिए चालू वित्त वर्ष में बढ़ाया जाएगा। इसमें और बैंकों को शामिल किया जाएगा। 31 मार्च, 2023 तक थोक ई-रूपी का मूल्य 10.69 करोड़ रुपये और खुदरा ई-रूपी का मूल्य 5.70 करोड़ रुपये था। 

2022-23 में चलन में मुद्रा का हिस्सा मूल्य के लिहाज से 7.8 फीसदी और वॉल्यूम के लिहाज से 4.4 फीसदी था जो 2021-22 में 9.9 और 5 फीसदी था। कुल चलन में मूल्य के लिहाज से 500 और 2000 के नोट का हिस्सा 2022-23 में 87.9 फीसदी था जो 2021-22 में 87.1 फीसदी था। वॉल्यूम के आधार पर सबसे अधिक 37.9 फीसदी हिस्सा 500 के नोट का था। 10 रुपये के नोट का हिस्सा 19.2 फीसदी था। 

मार्च, 2023 तक 500 रुपये के नोट का मूल्य 25.81 लाख करोड़ था। मार्च, 2023 तक 2000 के कुल नोटों की कीमत 3.62 लाख करोड़ रुपये थी। वॉल्यूम के लिहाज से यह कुल करेंसी का 1.3 फीसदी था जो मार्च, 2022 में 1.6 फीसदी था। मूल्य के आधार पर यह इसी दौरान 13.8 फीसदी से घटकर 10.8 फीसदी पर आ गया। 2021-22 में नोटों की छपाई पर 4985 करोड़ खर्च हुआ जो 2022-23 में 4,683 करोड़ रहा। 

प्रति व्यक्ति शुद्ध वित्तीय बचत वित्त वर्ष 2022 में 1500 रुपये से बढ़कर 13,105 रुपये हो गई। कोरोना से पहले यह 11,500 रुपये थी। वित्त वर्ष 2023 में यह 15,700 रुपये हो सकती है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023 में 33.48 लाख करोड़ रुपये के नोट जारी किए जो 2022 में 31.05 लाख करोड़ था। 2018 में 2000 के कुल 2.1 अरब नोट थे जो मार्च, 2023 तक घटकर 1.8 अरब रह गए। 500 के कुल 51.6 अरब नोट रहे। एक साल पहले 45.5 अरब नोट थे। 

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