आरबीआई गवर्नर ने कहा, कुछ चुनिंदा बैंक छुपा रहे हैं एनपीए का मामला
मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि केंद्रीय बैंक के दिशानिर्देश के बावजूद चुनिंदा बैंक दिशानिर्देश का पालन करने में कोताही बरत रहे हैं और ये आगे चलकर बैंकिंग सेक्टर के लिए अस्थिर माहौल बना सकते हैं। कुछ बैंकों के कॉरपोरेट गवर्नेंस में खामियां मिली हैं। सब कुछ अच्छा होने पर जोखिम की अनदेखी हो जाती है। ऐसे में बैंकों को सावधान रहने की जरूरत है।
गवर्नर ने कहा, बैंकों बे बोर्ड में सीईओ का दबदबा स्वीकार नहीं किया जाएगा। बोर्ड की बैठकों में सीईओ और निदेशक के बीच संतुलन होना चाहिए। गवर्नेंस पर बोर्ड और प्रबंधन किसी तरह की कोई अनदेखी न करें। दोनों को को बाहरी जोखिम पर लगातार निगरानी रखनी चाहिए। ऐसे कारणों पर ध्यान दें जो आगे चलकर पूरे देश के बैंकिंग के लिए अस्थिरता की वजह बन सकते हैं। बैंकों को एसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट (एएलएम) में ढीलाई से गंभीर लिक्विडिटी संकट भी पैदा हो सकता है।
दास ने कहा, बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती बनाए रखने के लिए जरूरी है कि ऐसे किसी भी संकेतों को तुरंत पहचाना जाए जो आगे चलकर खतरे की घंटी बन सकते हैं। अमेरिका के बैंकिंग संकट से भारत को ऐसी स्थिति को देखकर पहले ही सतर्कता का रुख अपनाना होगा।
दास ने कहा, मजबूत सरकारी ढांचे की जरूरत किसी भी देश के बैंकिंग क्षेत्र के लिए सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। लिहाजा देश के बैंकों को केंद्रीय बैंक से मिले दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए, जिससे टिकाऊ वित्तीय प्रदर्शन के लिए बैंकिंग सेक्टर तैयार रहे।
दास ने कहा, व्यक्तिगत निदेशकों में हितों का कोई टकराव नहीं होना चाहिए, जो उनकी निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बाधित करे। यह सुनिश्चित करना बोर्ड की जिम्मेदारी है कि हितों के संभावित टकराव की पहचान करने और इससे निपटने के लिए नीतियां हैं। यह जरूरी है कि स्वतंत्र निदेशक वास्तव में स्वतंत्र हों। न केवल प्रबंधन से बल्कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए भी स्वतंत्र है।
दास ने कहा कि आरबीआई ने सात महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध करते हुए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इन पर बोर्ड की बैठकों में चर्चा करने की जरूरत है। इनमें व्यवसाय रणनीति, वित्तीय रिपोर्ट और उनकी सत्यनिष्ठा, जोखिम, अनुपालन, ग्राहक सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और मानव संसाधन हैं। तमाम आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा, भारतीय बैंकिंग दुनिया भर में तमाम संकटों के बीच काफी मजबूत हैं।
दास ने कहा, ज्यादा आक्रामक वृद्धि क्रेडिट और डिपॉजिट पर उत्पादों का कम या अधिक मूल्य निर्धारण, जमा-कर्ज में पर्याप्त विविधीकरण की एकाग्रता या कमी बैंकों को उच्च जोखिम और कमजोरियों के लिए उजागर कर सकती है।
गवर्नर ने कहा, जमाकर्ताओं की रकम की सुरक्षा बैंकों के लिए सर्वोपरी होना चाहिए। इसके लिए मजबूत वित्तीय क्षेत्र सुनिश्चित करना जरूरी है। मुंबई में एक समारोह में सोमवार को गवर्नर ने कहा, केंद्रीय बैंक इस बात की इजाजत नहीं दे सकता है कि जनता के पैसे पर किसी भी तरह की असुरक्षा की स्थिति देखी जाए। बैंक मुख्य रूप से जमाकर्ताओं के पैसे से कारोबार करते हैं। इसलिए, जमाकर्ताओं के हितों को सबसे ऊपर रखना निदेशक मंडल और बैंकों के प्रबंधन की जिम्मेदारी है।