अब बैंकों में लागू हो सकती है नई व्यवस्था, सप्ताह में पांच दिन ही खुलेंगे 

मुंबई- देश की बैंकिंग व्यवस्था में जल्द बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब बैंक सप्ताह में पांच दिन ही खुलेंगे। फाइव-डे वीक लागू होने के बाद देश के तमाम बैंक शनिवार को पूरी तरह बंद रहेंगे। अब तक सिर्फ महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को ही बैंक बंद होते थे। 

इस नई व्यवस्था के दायरे में देश के तमाम बैंक आएंगे। 12 सरकारी, 21 प्राइवेट बैंकों सहित 78 बैंक हैं। इससे देशभर के लगभग 18 लाख बैंकर्स को बड़ी राहत मिलेगी। बैंकों से जुड़े संघों के अनुसार देशभर में लगभग 8 लाख सरकारी तो लगभग 9 लाख प्राइवेट बैंकर्स हैं। वहीं, ग्रामीण सहित अन्य बैंकों को मिलाकर लगभग 18 लाख बैंकर्स के लिए यह बड़ी राहत होगी।  

पांच दिन के होने से जो सबसे बड़ा बदलाव होगा वो बैंकिंग समय में होगा। बैंक संघों का मानना है कि महीने के दो शनिवार कम होने से लगभग 13 घंटे की बैंकिंग प्रभावित होगी। इसकी भरपाई के लिए बैंक कर्मियों को रोज 40 मिनट ज्यादा काम करना होगा। बैंकों के अपडेटेड टाइमिंग फिलहाल तय होने हैं। मगर बैंक एसोसिएशन की ओर से जो प्रस्ताव दिया है उसके अनुसार सुबह के समय 10 मिनट और शाम के समय 30 मिनट की बढ़ोतरी के साथ बैंकिंग समय बढ़ाए जा सकते हैं। इससे सोमवार से शुक्रवार 5 दिन ग्राहक को लेनदेन के लिए रोज 40 मिनट अतिरिक्त बढ़ेंगे। 

पांच दिन के कारोबार के पीछे बड़ी वजह देश में तेजी से बढ़ रहा डिजिटल ट्रांजेक्शन है। बैंकिंग एक्सपट्‌र्स बताते हैं कि सरकार लगातार बोल रही है कि इंटरनेट बैंकिंग और यूपीआई सहित डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ रहा है। ऐसे में कैश की जरूरत व्यक्ति को ज्यादा नहीं पड़ती। अगर थोड़ी-बहुत पड़ती भी है तो एटीएम से वो जरूरतें पूरी हो जाती हैं। यही वजह है कि बैंकों में अब फाइव-डे वीक की जरूरत ज्यादा महसूस होने लगी है। हालांकि बैंकों में फाइव-डे वीक की डिमांड काफी पहले से थी। 

देश में हो रहे डिजिटल ट्रांजेक्शन को लेकर पीआईबी की हालिया रिपोर्ट पर नजर डालें तो यह पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। 2017-18 में जहां देश में 2071 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ करते थे। वहीं 2022-23 में 31 दिसम्बर तक ये बढ़कर 9192 करोड़ ट्रांजेक्शन हो गए। इसी तरह अगर डिजिटल ट्रांजेक्शन की राशि की बात करें तो 2017-18 में 1962 लाख करोड़ का डिजिटल ट्रांजेक्शन था जो 2022-23 में 31 दिसंबर तक 2050 करोड़ का हो गया है। हालांकि कोविड के दौर में इसमें ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली थी। 

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