कांगड़ा सहकारी बैंक में साइबर ठगों ने तीन दिन में उड़ाए 7.79 करोड़ रुपये 

नई दिल्ली। साइबर अपराधियों ने दिल्ली के कांगड़ा सहकारी बैंक के चालू खाते से 7.79 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। बैंक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। यह धोखाधड़ी लगातार तीन दिन के दौरान तीन अलग-अलग लेनदेन में की गई है। इसकी शुरुआत 19 अप्रैल से हुई। बैंक की वित्तीय निगरानी आरबीआई करता है। ऐसे में इस धोखाधड़ी को लेकर शीर्ष अधिकारियों को भी कुछ पता नहीं है। 

कांगड़ा बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक (आईटी) सहदेव सांगवान ने दिल्ली पुलिस में मई के पहले सप्ताह में एफआईआर कराई है। सांगवान ने शिकायत में कहा है कि कांगड़ा बैंक अपने ग्राहकों के लिए रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस), नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (एनएसीएच), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर, चेक सिस्टम जैसे बैंकिंग लेनदेन के लिए आरबीआई के पास चालू खाता रखता है। 

बैंक ने नियामक को एक स्थायी निर्देश जारी किया है कि वह चालू खाते से हर रोज चार करोड़ रुपये एक निपटान खाते में भेजे, ताकि वह अपने ग्राहकों को आरटीजीएस और एनएसीएच लेनदेन कर सके। दिन के अंत में या अगले दिन की शुरुआत में आरबीआई पूरे दिन का निपटान खाते में होने वाले सभी लेनदेन के विवरण के साथ बैंक को एक ईमेल भेजता है। 

20 अप्रैल, 2023 को जब आरबीआई ने निपटान खाते में 19 अप्रैल को किए गए सभी लेन-देन का विवरण भेजा, तो कांगड़ा बैंक के अधिकारियों ने पाया किया कि खाते से 3.14 करोड़ रुपये से अधिक की राशि में से काफी कम रकम निपटान खाते में से चालू खाते में भेजी गई है। अगले दो दिन में चालू खाते में 2.40 करोड़ रुपये और 2.23 करोड़ रुपये भी निपटान खाते से चालू खाते में भेज दिए गए। तीन दिन इस तरह से कुल 7.79 करोड़ की ठगी की गई। 

देश में पिछले साल कंपनियों पर रैनसमवेयर की घटना बढ़कर 73 फीसदी पर पहुंच गई है जो 2021 में 57 फीसदी है। सोफोस के एक सर्वे में पता चला है कि 2022 में 44 फीसदी कंपनियों ने डेटा की रिकवरी के लिए शुल्क दिया जो 2021 में 78 फीसदी था। सोफोस के सीटीओ चेस्टर विस्नीवेस्की ने कहा, हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम होने के बावजूद, एन्क्रिप्शन की दर 77 प्रतिशत पर बनी हुई है, जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है। सोफोस के फील्ड सीटीओ चेस्टर विस्निवस्की ने कहा, रैंसमवेयर अपने हमलों को तेज कर रहे हैं। 

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