यूपीआई पेमेंट में गांवों ने 25 फीसदी हिस्से के साथ शहरों को पीछे छोड़ा
मुंबई- यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से भुगतान में गांवों ने शहरों को पीछे छोड़ दिया है। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में मूल्य के लिहाज से गांवों का हिस्सा 25 फीसदी जबकि शहरों का हिस्सा 20 फीसदी रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीआई से लेन-देन अब एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2016 में जीडीपी की तुलना में डिजिटल भुगतान 668 फीसदी था जो अब 767 फीसदी हो गया है। आरटीजीएस को छोड़ दें तो खुदरा डिजिटल भुगतान 129 फीसदी से बढ़कर 242 फीसदी पर पहुंच गया है। 2016 में यूपीआई से केवल 6,947 करोड़ रुपये का भुगतान होता था जो अब 139 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। वॉल्यूम के लिहाज से इसी दौरान यह 1.8 करोड़ से बढ़कर 8,375 करोड़ हो गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में यूपीआई से कुल 8.9 अरब ट्रांजेक्शन के जरिये 14.1 लाख करोड़ रुपये का लेन देन हुआ। इसका औसत 1,600 रुपये रहा। देश के शीर्ष 15 राज्यों में यूपीआई का मूल्य और वॉल्यूम के लिहाज से हिस्सा 90 फीसदी है। शीर्ष 100 जिलों में यह हिस्सा 45 फीसदी है। यूपीआई में एक रुपये का वैल्यू बढ़ने से डेबिट कार्ड से लेनदेन में 18 पैसे की कमी आती है।
रिपोर्ट के अनुसार, रिटेल में यूपीआई का मूल्य बढ़कर 83 फीसदी हो गया है जबकि एटीएम से निकासी घटकर 17 फीसदी हो गई है। एटीएम से कुल लेनदेन (केवल डेबिट कार्ड) 30-35 लाख करोड़ रुपये रहा है। 2017 में एटीएम से लेनदेन नॉमिनल जीडीपी का 15.4 फीसदी था जो अब 12.1 फीसदी पर आ गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 के नोट वापस लेने का अर्थव्यवस्था पर असर नहीं होगा। हालांकि इससे बैंकों को तरलता की मदद मिल जाएगी। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि करीब 3 लाख करोड़ रुपये वापस आ जाएंगे, जबकि बैंकों के करेंसी चेस्ट के पास पहले से ही 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम है।
एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि पहले लोग साल में औसत 16 बार एटीएम में जाते थे। अब यह संख्या घटकर 8 बार हो गई है। लगातार डिजिटल भुगतान के कारण अब एटीएम से नकदी निकासी कम हो गई है। इस समय देश में करीब 2.5 लाख एटीएम हैं।