पतंजलि प्रोडक्ट में नॉन-वेज का आरोप- वकील ने कहा- दंत मंजन में मरी मछलियों की हड्डियां 

मुंबई- मल्टीनेशनल कंपनी पतंजलि को अपने डेंटल केयर प्रोडक्ट में नॉन वेजिटेरियन पदार्थ का इस्तेमाल करने पर लीगल नोटिस भेजा गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनी अपने ‘दिव्य दंत मंजन’ में ‘समुद्र फेन’ (कटलफिश) नाम का मांसाहारी पदार्थ यूज करती है। 

नोटिस में यह भी बताया गया है कि नॉन वेजिटेरियन पदार्थ के इस्तेमाल के बावजूद उस प्रोडक्ट पर ग्रीन यानी वेजिटेरियन लेबल दिया गया है। पतंजलि को ये लीगल नोटिस एडवोकेट शाशा जैन ने भेजा है। इस नोटिस में कंपनी से 15 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। 

ट्विटर पर शेयर किए पोस्ट में शाशा ने ‘दिव्य दंत मंजन’ और उसमें इस्तेमाल किए जाने वाले इंग्रीडिएंट्स की फोटो भी शेयर की है। शाशा ने कहा, यह हमारे समुदाय और अन्य शाकाहारी समुदायों की भावनाओं को आहत करने वाला है।’ 

शाशा जैन ने कहा कि दिव्य दन्त मंजन में नॉन वेजिटेरियन इंग्रीडिएंट समुद्र फेन का उपयोग और इसकी वेजिटेरियन प्रोडक्ट के रूप में मार्केटिंग और सेलिंग, कंज्यूमर राइट्स और लेबलिंग रेगुलेशंस का उल्लंघन है। शाशा ने कहा, ‘मैं खुद आपकी कंपनी के कई प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हूं, लेकिन अब मैं पतंजलि प्रोडक्ट्स को यूज करने में असहज महसूस करती हूं।’ 

समुद्र फेन कटल फिश से प्राप्त एक एनिमल प्रोडक्ट है। मछली के मरने के बाद उसकी हड्डी समुद्र के पानी पर तैरने लगती है। जब समुद्र के पानी की सतह पर बड़ी संख्या में हड्डियां एक साथ तैरती हैं, तो दूर से यह समुद्र के पानी के झाग जैसा दिखता है। इसमें 80% कैल्शियम कार्बोनेट होता है। इसके अलावा इसमें फास्फेट, सिलिका और सल्फेट जैसे अन्य तत्व भी होते हैं। 

पतंजलि की वेबसाइट के अनुसार दिव्य दंत मंजन मसूड़ों के साथ-साथ दांतों के लिए भी सबसे शक्तिशाली औषधीय उत्पाद है। इस टूथ पाउडर के इस्तेमाल से मसूड़े मजबूत होते हैं। इस कारण पायरिया (मसूड़ों से रक्त और मवाद का बहना) जैसी दंत समस्याएं दूर हो जाती है। 

पतंजलि अपने प्रोडक्ट को लेकर पहले भी विवादों में रहा है। पिछले साल उत्तराखंड में आयुर्वेदिक और यूनानी सेवा के अधिकारियों ने पतंजलि को 5 दवाओं का उत्पादन रोकने को कहा था। पतंजलि की दवा के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत के बाद ये विवाद शुरू हुआ था। 

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि की जिन पांच दवाओं पर रोक लगाई गई थी उनमें, दिव्य मधुग्रित, दिव्य आईग्रिट गोल्ड, दिव्य थायरोग्रिट, दिव्य बीपी ग्रिट और दिव्य लिपिडोम थे। इस मामले पर पंतजिल ने कहा था कि इसमें आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफियाओं का हाथ है। 

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