जून में डिफॉल्ट कर सकता है अमेरिका, 80 लाख नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा 

मुंबई- दुनिया का सबसे ताकतवर देश और सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका अपने इतिहास में पहली बार डिफॉल्ट होने के कगार पर पहुंच गया है। कर्ज की सीमा को बढ़ाने को लेकर राष्ट्रपति जो बाइडेन और संसद के बीच अब तक सहमति नहीं बन पाई है। वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने चेतावनी दी है कि अगर डेट सीलिंग बढ़ाई गई तो देश एक जून को डिफॉल्ट कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इसके भयावह नतीजे होंगे।  

स्थिति कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बाइडेन ने अपना एशिया दौरा बीच में ही छोड़ने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि इसी हफ्ते दोनों पक्षों के बीच डील फाइनल हो सकती है। इस बीच देश की 150 टॉप कंपनियों के सीईओ ने दोनों पक्षों से जल्दी से जल्दी इसका समाधान खोजने को कहा है। उनका कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसके भयावह नतीजे होंगे। 

इससे पहले व्हाइट हाउस के इकनॉमिस्ट्स ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका ने डिफॉल्ट किया तो इससे देश में 83 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी, स्टॉक मार्केट आधा साफ हो जाएगा, जीडीपी 6.1 परसेंट गिर जाएगी और बेरोजगारी की दर पांच फीसदी बढ़ जाएगी। देश में इंटरेस्ट रेट 2006 के बाद टॉप पर पहुंच गया है, बैंकिंग संकट लगातार गहरा रहा है और डॉलर की हालत पतली हो रही है। देश में मंदी आने की आशंका 65 फीसदी है। अगर अमेरिका डिफॉल्ट करता है तो उसका मंदी में फंसना तय है। इसका असर भारत समेत पूरी दुनिया पर असर देखने को मिल सकता है। 

डेट लिमिट वह सीमा होती है जहां तक फेडरल गवर्नमेंट उधार ले सकती है। 1960 से इस लिमिट को 78 बार बढ़ाया जा चुका है। पिछली बार इसे दिसंबर 2021 में बढ़ाकर 31.4 ट्रिलियन डॉलर किया गया था। लेकिन यह इस सीमा के पार चला गया है। अमेरिका ने अब तक कभी भी डिफॉल्ट नहीं किया है, इसलिए पक्के तौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि इसका क्या असर होगा।  

देश में जीडीपी के अनुपात में कर्ज साल 2022 में 120 फीसदी पहुंच गया जो दूसरे विश्व युद्ध के दौर से भी ज्यादा है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद साल 1945 में यह 114% था। माना जा रहा है कि अमेरिका का कर्ज 2033 तक 51 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। यानी अगले दस साल में इसमें 20 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है। 

मूडीज एनालिटिक्स के मुताबिक अगर अमेरिका ने डिफॉल्ट किया तो इससे लाखों लोगों की नौकरी जा सकती है और देश मंदी की चपेट में आ सकता है। इससे 70 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है और देश 2008 की तरह वित्तीय संकट में फंस सकता है। साल 2011 में अमेरिका डिफॉल्ट के कगार पर था और अमेरिका सरकार की परफेक्ट AAA क्रेडिट रेटिंग को पहली बार डाउनग्रेड किया गया था। इससे अमेरिका शेयर मार्केट में भारी गिरावट आई थी जो 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद सबसे खराब हफ्ता था। 

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