निवेशकों को घाटा देने में एलआईसी अव्वल, एक साल में 1.94 लाख करोड़ घटी पूंजी
मुंबई- भारतीय शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने वाली भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) घाटा देने में भी अव्वल रही है। पिछले साल 17 मई को शेयर लिस्टिंग पर एलआईसी का बाजार पूंजीकरण 5.54 लाख करोड़ था और यह पांचवीं सबसे मूल्यवान कंपनी थी। बुधवार को यह पूंजी दो लाख करोड़ घटकर 3.60 लाख करोड़ रुपये रह गई। इससे निवेशकों को 1.94 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
एलआईसी का शेयर लिस्टिंग के मूल्य से 40 फीसदी नीचे इस समय कारोबार कर रहा है। एलआईसी ने 949 रुपये के भाव पर आईपीओ लाया था। इस समय इसका भाव 568 रुपये पर है। हालांकि, इसमें निवेशकों ने भले शेयर बेचे हैं पर अभी भी सरकार की हिस्सेदारी 96.5 फीसदी बनी हुई है। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से एलआईसी 13वें स्थान पर है।
लिस्टिंग के बाद से एलआईसी का शेयर कभी भी आईपीओ के भाव पर नहीं पहुंच पाया। इस दौरान इसमें म्यूचुअल फंडों ने अपनी हिस्सेदारी 0.74 फीसदी से घटाकर 0.63 फीसदी कर ली जबकि विदेशी निवेशकों ने 0.12 से घटाकर 0.8 फीसदी कर ली। पर खुदरा निवेशकों को अभी भी इस शेयर में दिलचस्पी है। उनकी हिस्सेदारी इसी दौरान बढ़कर 1.88 से 2.04 फीसदी हो गई है।
एलआईसी के शेयर में भले ही खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ रही हो, पर इनकी संख्या घट रही है। आईपीओ के समय कुल खुदरा निवेशक 39.89 लाख थे जो अब 6.87 लाख घटकर 33 लाख पर आ गए हैं। खुदरा निवेशक उनको कहते हैं जो दो लाख रुपये तक का निवेश करते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी इसलिए बढ़ी है क्योंकि वे गिरावट में शेयर को खरीद रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि आगे यह शेयर तेजी में जा सकता है। हालांकि, कुछ ब्रोकरेज हाउसों ने खरीदने की भी सलाह दी है, पर ज्यादातर अभी भी इस शेयर के तेजी के पक्ष में नहीं हैं।
एलआईसी ने पिछले साल आईपीओ से 21,000 करोड़ रुपये जुटाई थी। यह अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ है। इससे पहले कोल इंडिया ने 2010 में 15,200 करोड़ रुपये का आईपीओ लाया था। जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ने 2017 में 11,257 करोड़ और एसबीआई कार्ड्स ने 2020 में 10,341 करोड़ रुपये जुटाया था।