तरलता की कमी और ओवरनाइट दरों में वृद्धि से बैंकों की बढ़ी परेशानी 

मुंबई- सिस्टम में तरलता की कमी और ओवरनाइट दरों में इजाफा से बैंकों की परेशान बढ़ गई है। खासकर छोटे बैंकों की, जिनके पास तरलता बिलकुल नहीं है। ऐसे में बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से अपील की है कि वे इस मामले में बैंकिंग उद्योग की मदद करे। 

पिछले दिनों बैंकों ने मनी मार्केट एसोसिएशन के साथ एक बैठक में इस मुद्दे को उठाया था। दरअसल, बैंक जरूरत पड़ने पर एक रात के लिए कर्ज लेते हैं। इसे ओवरनाइट कॉल मनी रेट कहते हैं। यह दर पिछले चार सप्ताह से रेपो रेट से ऊपर बनी हुई है। अब यह मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) से भी ऊपर चली गई है जो 6.75 फीसदी पर है। रेपो रेट 6.50 फीसदी है। 

बैंकों ने पिछले हफ्ते फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट और डेरिवेटिव एसोसिएशन से मुलाकात की और इस मुद्दे पर चर्चा की है। एक अधिकारी ने कहा हमने आरबीआई के साथ मौखिक चर्चा की है, पर यह कोई लिखित में नहीं है। हमने उनसे मौजूदा तरलता की स्थिति को सुचारू करने के लिए कहा है, लेकिन आरबीआई और बैंकों का कहना है कि आगामी बॉन्ड परिपक्वता के बाद इसे ठीक करने में मदद होगी। 

ज्यादातर बैंक अप्रैल से उधारी ले रहे हैं। उस समय ज्यादा कर्ज की मांग थी और साथ ही अग्रिम कर से सिस्टम से पैसा ज्यादा निकला था। भारतीय बैंकों के पास 550 अरब रुपये की तरलता है। लेकिन यह तरलता कुछ बड़े बैंकों के पास ही है। 

यहां तक कि रातोंरात दरों में वृद्धि होने के बावजूद, ट्रेजरी अधिकारी आरबीआई से किसी भी प्रकार की पूंजी की उम्मीद नहीं कर रहे हैं क्योंकि आने वाले समय में उनको तरलता में सुधार की उम्मीद है। आरबीआई रेपो और एमएसएफ के बीच दरों को बनाए रख सकता है क्योंकि उसकी कोशिश महंगाई पर काबू पाना है। अगरअल्पकालिक दरों में तेजी से गिरावट आती है तो यह आरबीआई के लिए मुश्किल हो सकती है। अगले कुछ दिनों में सिस्टम से एक लाख करोड़ रुपये निकलने की उम्मीद है क्योंकि दो सरकारी प्रतिभूतियां परिपक्व होनेवाली हैं। 

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