करदाताओं के रीयल टाइम बैंकिंग लेनदेन पर जीएसटी की नजर
मुंबई- वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्राधिकरण करदाताओं के रीयल टाइम बैंकिंग लेनदेन की जानकारी जुटाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके जरिये कारोबारियों के नकली चालान और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के ज्यादा उपयोग का पता लगाया जाएगा।
जीएसटी पंजीकरण के समय करदाता केवल एक बैंक खाते का विवरण देता है। लेकिन ऐसा भी देखा गया है कि कारोबारी कई बैंक खातों का उपयोग करते हैं। ऐसे में बैंकिंग लेनदेन से इस तरह के फर्जीवाड़े का पता चल सकेगा। हालांकि, ज्यादातर मामलों में यही पाया गया है कि जब तक बैंकिंग लेनदेन का पता लगाया जाता है, तब तक कंपनियां फरार हो जाती हैं। ऐसे में रीयल टाइम लेनदेन का पता लगने से कंपनियां भाग नहीं सकेंगी।
जानकारी के मुताबिक, जीएसटी अधिकारी अब आयकर विभाग की तरह तेजी से रीयल टाइम बैंकिंग लेनदेन के आंकड़ों को जुटाना चाहते हैं। संभावित कर चोरी पर नजर रखने के लिए आयकर विभाग को ज्यादा मूल्य व संदिग्ध लेनदेन के साथ-साथ एक निश्चित सीमा से अधिक नकद जमा पर बैंक जानकारी देता है।
सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे को अब केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) भी उठा रहा है, ताकि कर चोरी पर अंकुश लगाया जा सके। इसके लिए जरूरत पड़ी तो आरबीआई से भी मदद ली जा सकती है। जीएसटी अधिकारी संभावित कर चोरी करने वालों को पकड़ने के लिए अपने जोखिम मापदंडों में और अधिक डेटाबेस शामिल करने की योजना बना रहे हैं। खासकर सेवा से संबंधित उद्योगों में इसे और मजबूत बनाया जाएगा।
सूत्रों के मुताबकि, यह कदम हाल की जांच के बाद उठाया गया है। इसमें पता चला है कि नकली चालान के माध्यम से अनुचित टैक्स क्रेडिट का हवाला लेनदेन के लिए उपयोग किया जा रहा है। कई मामलों में यह भी पाया गया कि घुमावदार रास्तों के माध्यम से नकली चालान बनाकर खुद रकम वापस ली जा रही है।मुखौटा कंपनियां भी फर्जी बिलों के जरिये यही काम कर रही हैं।