मनी लांड्रिंग के मामले में तीन बड़े शेयर ब्रोकर्स जांच एजेंसियों के रडार पर 

मुंबई- देश के तीन शीर्ष ब्रोकर्स कई नियामक और प्रवर्तन एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गए हैं। इन पर हजारों करोड़ रुपये के संदिग्ध मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी वाली व्यापारिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। ये ब्रोकर्स पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन (पीईपी) से जुड़े हुए हैं। साथ ही एक प्रमुख औद्योगिक राज्य में एक वरिष्ठ नेता के परिवार के प्रमुख सदस्य की भूमिका की भी जांच हो रही है। 

सूत्रों ने बताया कि तीन शीर्ष दलालों के खिलाफ कई मोर्चों पर 4-5 वर्षों से जांच चल रही है। ये सभी ब्रोकरेज, निवेश सलाहकार सेवाओं, पोर्टफोलियो प्रबंधन, संपत्ति प्रबंधन सहित वित्तीय सेवा क्षेत्र में फैले काफी सारे कारोबारों से जुड़े हैं। अब तक की जांच में शामिल एजेंसियों और नियामकों में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) शामिल हैं। 

राजनीतिक मामला होने के कारण ये तीनों नियामक अब सीबीआई को भी इस जांच में लाने की योजना बना रहे हैं। जांच में वित्तीय और बैंकिंग लेन-देन की जांच के साथ कई टैक्स बचाने वाले देशों से और उन देशों में पैसों का लेनदेन, कॉल डेटा रिकॉर्ड और सोशल मीडिया की बातचीत शामिल है। इसके लिए कई देशों के संबंधित न्यायिक एजेंसियों को भी हजारों करोड़ रुपये के फंड ट्रांसफर की जानकारी के लिए अपील की गई है। स्विटजरलैंड सहित कुछ देशों ने इसमें जानकारी दी भी है। 

अधिकारियों ने कहा कि तीन ब्रोकर पहले स्पॉट कमोडिटी एक्सचेंज से जुड़े एक मामले में जांच के दायरे में आए थे। बाद में वे ब्रोकरेज और फंड प्रबंधन ग्राहकों सहित बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में भी लिप्त पाए गए। कुछ राजनीतिक रूप से जुड़े लोगों के शामिल होने के बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया गया। ज्यादातर मामलों में सेबी को इन ब्रोकरों की गतिविधियों में संभावित मनी लॉन्ड्रिंग का संदेह था और इसकी जांच के लिए अन्य एजेंसियों को मामला दे दिया गया। 

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