किसी नए प्रोफेशनल एमडी या सीईओ के लिए हिकाल एक सटीक मामला: इनगवर्न

75,000 शेयरधारकों का भाग्य अधर में, मैनेजमेंट का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार

मुंबई- प्रॉक्सी सलाहकार फर्म इनगवर्न रिसर्च ने सिफारिश की है कि रासायनिक कंपनी हिकाल लिमिटेड के मामले में मैनेजमेंट और ओनरशिप को अलग करने की जरूरत है। शेयरहोल्डर बैटल इम्पैक्टिंग कॉर्पोरेट गवर्नेंस शीर्षक वाली एक विस्तृत शोध रिपोर्ट में यह कहा गया है कि कंपनी को दिन-प्रतिदिन के आधार पर चलाने के लिए हिकाल के लिए एक नए प्रोफेशनल एमडी या मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को लेना एक उपयुक्त मामला है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि हिकाल अत्यधिक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में काम करता है और इसके कमजोर परफॉरमेंस के हिसाब से इसके लगभग 75,000 शेयरधारकों का भाग्य अधर में लटका हुआ है। हिकाल के बोर्ड में माइनॉरिटी शेयरधारकों का प्रभावी प्रतिनिधित्व नहीं है और कई स्वतंत्र निदेशक जो काफी लंबे समय से जुड़े हैं उनकी बोर्ड में ओवरहौलिंग की सख्त जरूरत है।

दो प्रवर्तक समूहों के पास 34.84% और 34.01% हिस्सेदारी है जबकि माइनॉरिटी शेयरधारकों के पास 31.15% हिस्सेदारी है। निवेशक दो प्रवर्तक समूहों के बीच लड़ाई के बीच फंस गए हैं जिससे कंपनी को नुकसान हो रहा है। 23 मार्च, 2023 की बीएसई फाइलिंग के अनुसार, हिकाल के सह-प्रवर्तकों जयदेव हीरेमथ और सुगंधा हिरेमथ द्वारा लिस्टेड कंपनियों केआईसीएल और बीएफआईएल और भारत फोर्ज लि. के सीएमडी बाबासाहेब कल्याणी (सुगंधा हिरेमथ के भाई) सहित विभिन्न संस्थाओं के खिलाफ एक सिविल सूट फाइल किया गया है।

इनगवर्न का कहना है कि विवाद ने हिकल को भंवर में डाल दिया है क्योंकि इससे मैनेजमेंट बैंडविड्थ गंभीर रूप से बाधित और विचलित हो सकता है क्योंकि एमडी आपसे लड़ाई में फंसे प्रमोटर समूहों में से एक का सदस्य है। बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष दायर अपने हलफनामे में बाबा कल्याणी ने कहा कि हिकाल के शेयरों के संदर्भ में एकमात्र दायित्व जनवरी 1992 में निष्पादित बायबैक समझौते को प्रभावी करना था, जो 1984 में पहले ही पूरी तरह से दिया जा चुका है।

1997 में लिखा गया एक पत्र इसकी पुष्टि भी करता है। प्रॉक्सी फर्म ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इन कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दों के कारण संस्थागत निवेशक दूर रह रहे हैं। वर्तमान मैनेजमेंट ने कॉर्पोरेट सेल और लाभप्रदता वृद्धि योगदान नहीं दिया है और हमेशा से गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार प्रदर्शित किया है। हाल ही में, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा रसायनों के अवैध निर्वहन के लिए हिकाल को कड़ी निंदा का सामना करना पड़ा जब एनजीटी ने कंपनी पर 17 करोड़ का जुर्माना लगाया। इसके परिणामस्वरूप पिछले 2 वर्षों में वर्तमान प्रबंध निदेशक के खिलाफ कई आपराधिक मामले भी दायर किए गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, हिकाल के दो स्वतंत्र निदेशक प्रकाश मेहता और कन्नन उन्नी को स्वतंत्र नहीं माना जा सकता है, क्योंकि वे क्रमशः 29 साल और 23 साल के लिए कंपनी के बोर्ड में रहे हैं। वास्तव में बोर्ड में नए स्वतंत्र निदेशकों को शामिल करके और 50% के स्वतंत्र निदेशकों के अनुपात पर सेबी के नियमों का पालन कर इसे पुनर्गठित करने की जरूरत है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बोर्ड के लगभग 60% निदेशकों की आयु 70 वर्ष से अधिक है जिसमें 2 स्वतंत्र निदेशक प्रकाश मेहता और कन्नन उन्नी की आयु 80 वर्ष है। इसमें कहा गया ही कि दो आपसी लड़ाई में फंसे प्रवर्तक समूहों के बीच विभाजित बोर्ड के कारण कंपनी के मैनेजमेंट और उसके ओनरशिप को अलग करने की जरूरत है। इसलिए, कंपनी को डेली बेसिस पर चलाने के लिए एक प्रोफेशनल एमडी या सीईओ को लाना एक फिट केस है है।

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