जब रिलायंस के मालिक मुकेश अंबानी को दो दिन तक बिताना पड़ा था गैरेज में  

मुंबई- एशिया के सबसे अमीर उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी केवल बैंक बैलेंस से ही बड़े नहीं बल्कि दिल से भी धनवान है। अक्सर देखा जाता है कि पैसे के साथ लोगों में घमंड भर जाता है, लेकिन अंबानी परिवार ने ऐसा नहीं होने दिया। मुकेश अंबानी से जुड़ी एक ऐसी ही कहानी है, जो बताती है कि धनवान परिवार होते हुए भी उनमें अनुशासन को लेकर कितनी सख्ती थी। खुद मुकेश अंबानी ने इस किस्से के बारे में एक्ट्रेस सिमी ग्रेवाल के शो ‘Rendezvous With Simi Garewal’ में बताया था। 

मुकेश अंबानी और नीता अंबानी सिमी ग्रेवाल के टॉक शो में पहुंचे थे। उन्होंने अपने परिवार और पिता के बारे में बात करते हुए बताया था कि उनके पिता धीरूभाई अंबानी ने उन्हें और उनके भाई अनिल अंबानी को दो दिनों तक गैराज में बंद कर दिया था। पिता अनुशासन को लेकर बहुत सख्त थे। उन्होंने उस किस्से को साझा करते हुए कहा था कि वो उस वक्त 10 -11 साल के थे। अनिल की उम्र 9 साल थी। शाम को घर में कुछ मेहमान आने वाले थे। मां कोकिलाबेन ने मेहमानों के लिए खाना परोसा था। 

मां ने टेबल पर मेहमानों के लिए खाना परोसा था। मुकेश और अनिल ने मेहमानों से पहले खाना खाना शुरू कर दिया। पिता धीरूभाई अंबानी उन्हें बार-बार शांति से बैठने के लिए कह रहे थे, लेकिन दोनों में से किसी ने बात नहीं मानी। पिता की बातों को अनसुना करते हुए दोनों गेस्ट के सामने एक सोफे से दूसरे सोफे पर उछल-कूद करने लगे। बच्चों को ऐसे कूदते हुए देखकर उनके पिता बहुत नाराज हुए थे। उस वक्त तो उन्होंने कुछ नहीं कहा, लेकिन जब मेहमान चले गए तो फिर उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। 

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मेहमानों के जाने के बाद उन्होंने मुकेश और अनिल अंबानी को खूब डांट लगाई। दोनों को घर से बाहर गैराज में रहने के लिए कहा। मां कोकिलाबेन ने अपने बेटों का पक्ष लेते हुए उन्हें घर से बाहर न भेजने की सिफारिश भी की, लेकिन धीरूभाई अंबानी ने एक न सुनी। उन्होंने दोनों को दो दिन तक गैराज में रहने का आदेश दिया। वो अपने नियम-कायदों और अनुशासन को लेकर काफी सख्त थे। गैराज में रहने के दौरान दोनों भाइयों को सिर्फ रोटी और पानी ही दिया गया था। 

मुकेश अंबानी ने कहा कि पिता की इस डांट ने उनकी जिंदगी बदल दी। उन्होंने उस दिन से अनुशासन और घर के कायदे-कानून को सही से समझ लिया। यही सीख उन्हें जिंदगी में काम आई। कारोबार और निजी जिंदगी में सफलता का मूल मंत्र वो समझ गए। काम को लेकर उनकी ईमानदारी का पाठ उन्होंने अपने बच्चों को भी सिखाया। 

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