एचडीएफसी बैंक व एचडीएफसी लि. के एक में मिलने से जानिए आपको क्या फायदा या घाटा 

मुंबई- देश की सबसे बड़ी प्राइवेट बैंक एचडीएफसी और हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस और एचडीएफसी बैंक का विलय होने जा रहा है। माना जा रहा है कि जुलाई तक इस मर्जर प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। इस विलय के बाद एचडीएफसी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस एचडीएफसी बैंक के नाम से जाना जाएगा।  

एचडीएफसी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कंपनी के ग्राहक एचडीएफसी बैंक के ग्राहक बन जाएंगे। इस विलय को लेकर एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी फाइनेंस के ग्राहकों के मन में सवाल उठ रहे हैं। इस विलय के बाद काफी कुछ बदलेगा। यहां ग्राहकों को एक ही छत के नीचे बैंकिंग और नॉन बैंकिंग सुविधाएं मिलेंगी। वहीं लोन और बैंकिंग सेवाएं एक जगह होने पर ब्रांचों में भीड़ भी बढ़ सकती है। आइए समझते हैं कि इस विलय के बाद क्या-क्या बदल सकता है। 

एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी फाइनेंस के इस विलय प्रक्रिया से सबसे ज्यादा असर फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी के होम लोन ग्राहकों पर पड़ सकता है। लोगों के मन में सवाल है कि क्या इस विलय के लोन सस्ता हो जाएगा? क्या लोन की शर्तें या नियम बदल जाएंगे? क्या ईएमआई पेमेंट में बदलाव होगा? ऐसे तमाम सवाल लोगों के मन में उठ रहे  

रिपोर्ट के मुताबिक दोनों के मर्जर के बाद लोन एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट (EBLR) से तय होंगे। यानी अगले छह महीने में एचडीएफसी लोन की ब्याज दरें EBLR के आधार पर तय होगी। RBI के नियम के मुताबिक साल 2019 के बाद बैंकों को अपने सभी रिटेल लोन को एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट से लिंक करना अनिवार्य है। हालांकि फाइनेंशियल कंपनियों के लिए ऐसा नहीं है। इस विलय के बाद HDFC को अपने सभी लोन को एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट से लिंक करना होगा। 

HDFC फाइनेंस को लोन की ब्याज दर ब्याज दर बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (BPLR) के बजाए एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट (EBLR) के आधार पर तय करना होगा। आपको बता दें कि बेंचमार्क लेंडिंग रेट( BPLR) एक इंटरनल बेंचमार्क रेट होता है, जो बैंक अपने हिसाब से अलग-अलग पैरामीटर को देखते हुए तय करता है। जबकि एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग रेट (EBLR) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया तय करती है। यानी विलय के बाद HDFC की ब्याज दरें EBLR से लिंक हो जाएंगी। गौरतलब है कि एक्सटरनल बेंच मार्क लेडिंग पर आधारित ब्याज दर ज्यादा पारदर्शी होती हैं। 

अधिकांश समय देखा गया है कि जो लोन EBLR से लिंक नहीं होते हैं वो RBI द्वारा रेपो रेट में कटौती किए जाने पर ग्राहकों को तुरंत ब्याज में कटौती का लाभ नहीं देते हैं। इस मर्जर के बाद HDFC के होम लोन ग्राहकों को ये लाभ रेपो रेट में कटौती होने पर तुरंत मिलेगा। इस विलय के बाद एचडीएफसी होम लोन ग्राहकों को सस्ती ब्याज दर या फिर लोन अवधि कम करने का तोहफा मिल सकता है। हालांकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि बैंक इस का अनुसरण करे। 

जानकार मानते हैं कि इस विलय के बाद लोन के नियम और शर्तें में बदलाव की संभावना कम है। कर्जदाता मौजूदा रिपेमेंट नियम के हिसाब से अपनी ईएमआई का भुगतान करते रहेंगे। इस विलय के बाद बैंक की जमाएं और कर्ज ज्यादा होंगे। बैंक कम ब्याज दरों पर अधिक पैसा उधार लेने की स्थिति में होगा। इसका लाभ ग्राहकों को मिल सकता है। विलय के बाद नई इकाई में बैंक की करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट लागत घट सकती है। ऐसे में बैंक इसका लाभ ग्राहकों को दे सकता है। बैंक के खाताधारकों के लिए कुछ खास बदलाव नहीं होने वाला है। पहले की तरह इन्हें सभी सुविधाएं मिलती रहेंगी। बैंकिंग सर्विस में कोई बदलाव नहीं होने की उम्मीद है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *