क्रेडिट सुइस ने अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल की बिक्री रोकने की मांग की  

मुंबई- स्विट्जरलैंड के बिक चुके कंगाल बैंक क्रेडिट सुइस ने अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी रिलायंस कैपिटल की बिक्री रोकने के लिए लीगल नोटिस भेजा है। भारी कर्ज ने डूबी रिलायंस कैपिटल इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग से गुजर रही है। हाल में दूसरे दौर की नीलामी में इसमें हिंदूजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स ने इसके लिए 9,650 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। लेकिन क्रेडिट सुइस का कहना है कि रिलायंस कैपिटल के रिजॉल्यूशन प्लान को लागू नहीं किया जा सकता है। इसकी वजह यह है कि रिलायंस कैपिटल पर उसके दावे को खारिज कर दिया गया था और यह मामला अभी एनसीएलटी में पेंडिंग है। 

क्रेडिट सुइस हाल में डूबने के कगार पर पहुंच गया था। इसे स्विट्जरलैंड के ही यूबीएस बैंक ने खरीदा है। क्रेडिट सुइस ने अपने वकीलों के माध्यम से रिलायंस कैपिटल के एडमिनिस्ट्रेटर नागेश्वर राव को एक नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया है कि उसका इस कंपनी पर 660 करोड़ रुपये का कर्ज है। क्रेडिट सुइस और एक्सिस बैंक के क्लैम को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद दोनों बैंकों ने पिछले साल एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया था।  

क्रेडिट सुइस का दावा है कि वह इस मामले में सिक्योर्ड क्रेडिटर है। उसने एडमिनिस्ट्रेटर को रिजॉल्यूशन प्लान पर आगे बढ़ने से परहेज करने को कहा है। उसका कहना है कि अगर रिजॉल्यूशन प्लान को अंतिम रूप दिया जाता है तो यह नियमों के खिलाफ होगा। 

भारी कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को आरबीआई ने 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग शुरू की थी। सेंट्रल बैंक ने नागेश्वर राव को कंपनी का एडमिनिस्ट्रेटर बनाया था। रिलायंस कैपिटल की पहले दौर की नीलामी में टॉरेंट ग्रुप ने 8,640 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी। लेकिन हिंदूजा ने नीलामी के बाद अपनी बोली बढ़ाकर 9,400 करोड़ रुपये कर दी थी। टॉरेंट ने इस पर आपत्ति जताई थी और दूसरे दौर की बोली रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

फरवरी में एनसीएलटी ने टॉरेंट को सबसे बड़ा बिडर करार दिया था। उसका कहना था कि हिंदूजा ने प्रोसेस खत्म होने के बाद बोली लगाई थी और इसलिए वह अवैध है। मगर एनसीएलएटी ने दूसरे दौर की नीलामी की अनुमति दे दी। टॉरेंट ने एनसीएलएटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने अभी इस पर फैसला नहीं दिया है।  

एडमिनिस्ट्रेटर ने फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 23,666 करोड़ रुपये के दावों को वेरिफाई किया है। एलआईसी ने 3400 करोड़ रुपये का दावा किया है। सितंबर, 2021 में रिलायंस कैपिटल ने अपने शेयरहोल्डर्स को बताया था कि कंपनी पर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज है। 

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