सब्सिडी के मुद्दे पर खुले मन से विचार करे विश्व व्यापार संगठन- सीतारमण 

मुंबई- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को खुले मन से खाद्य सब्सिडी के मुद्दे पर विचार करने की जरूरत है। इसका कारण यह है कि कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं में खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को प्रभावित करता है। 

वित्त मंत्री बुधवार को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के ‘एशिया को पटरी पर लाने का समर्थन करने वाली नीतियां’ विषय पर सेमिनार में कहा कि जितनी जल्दी डब्ल्यूटीओ इसका समाधान निकालेगा, दुनिया के लिए उतना अच्छा होगा। डब्ल्यूटीओ की स्थापना के बाद से कृषि उत्पादों के निर्यात के संबंध में आमतौर पर व्यापार में वैश्विक दक्षिण और उभरते बाजारों की आवाज को विकसित देशों के बराबर नहीं सुने जाने की शिकायत बार-बार आती रही है। 

उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में कृषि और गरीब किसानों के लिये सब्सिडी को ध्यान नहीं दिया जाता था। विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों में खाद्य सुरक्षा बेहतर है। व्यापार समझौते एकतरफा हुए हैं, जिनका समाधान खोजना होगा। वैश्विक व्यापार नियमों के तहत डब्ल्यूटीओ सदस्य देशों का खाद्य सब्सिडी बिल 1986-88 के संदर्भ मूल्य के आधार पर उत्पादन मूल्य का 10 प्रतिशत की सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए। 

निर्मला सीतारमण ने कहा, लंबी अवधि में सतत विकास का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें चार ‘आई’ पर फोकस करने की जरूरत हैं। ये चार आई हैं- इन्फ्रा (बुनियादी ढांचा), इन्वेस्टमेंट (निवेश), इनोवेशन (नवाचार) और इक्ल्युसिविटी (समावेशिता)। 

निवेश और नवाचार को बढ़ाने लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। चार आई के महत्व के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निवेश जरूरी है, क्योंकि इससे नए रोजगार का सृजन होता है। स्टार्टअप की समस्याओं के समाधान के लिए इनोवेशन की जरूरत है। इन्क्लुसिविटी से विकास की यात्रा में समाज के सभी वर्गों को भागीदार बनाया जाना चाहिए। 

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