हिंडनबर्ग रिपोर्ट में नाम आने पर अदाणी समूह के ऑडिटर ने दिया इस्तीफा
मुंबई-अडानी ग्रुप के बारे में आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अहमदाबाद की एक चार्टर्ड अकाउंटेंसी फर्म की नियुक्ति पर सवाल उठाए गए थे। इस कंपनी ने अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी टोटल गैस से किनारा कर लिया है।
कंपनी ने शेयर मार्केट्स को बताया कि शाह धंधारिया एंड कंपनी एलएलपी ने इस्तीफा दे दिया है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी टोटल गैस की इंडिपेंडेंट ऑडिटर एक छोटी कंपनी है। इसकी कोई वेबसाइट नहीं है। इसके केवल चार पार्टनर और 11 कर्मचारी हैं।
रेकॉर्ड्स के मुताबिक इसने 2021 में हर महीने 32,000 रुपये का किराया दिया। इसके खाते में अडानी की कंपनियों के अलावा केवल एक ही लिस्टेड कंपनी है जिसका मार्केट कैप करीब 64 करोड़ रुपये है। अडानी टोटल गैस ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि उसके चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का इस्तीफा दो मई से प्रभावी हो गया है। कंपनी ने इसके साथ ही ऑडिटर के इस्तीफे का लेटर भी अटैच किया है।
ऑडिटर का कहना है कि 26 जुलाई, 2022 को उसे पांच साल का दूसरा टर्म दिया गया था और उसने 31 मार्च, 2023 को खत्म वित्त वर्ष के लिए कंपनी का ऑडिट कर दिया है। उसका कहना है कि वह दूसरे असाइनमेंट में व्यस्त है, इसलिए उसने इस्तीफा दे दिया है। अभी इस बात का पता नहीं चल पाया है कि वह अडानी एंटरप्राइजेज से भी इस्तीफा देगी या नहीं।
हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर शेयरों के भाव बढ़ाने में हेराफेरी के आरोप लगाए गए थे। हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों से इनकार किया था। लेकिन इस कारण अडानी ग्रुप के शेयरों में एक महीने से अधिक समय तक गिरावट आई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से इन आरोपों की जांच करने को कहा है।
कोर्ट ने इसके लिए दो मई तक का समय दिया था। लेकिन सेबी ने इसे छह महीने और बढ़ाने का अनुरोध किया है। इस बारे में जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील विशाल तिवारी ने सेबी को ज्यादा समय देने का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे जांच लंबी खिंच जाएगी और अतिरिक्त देरी होगी।