वारिस नहीं है नॉमिनी, उत्तराधिकारी चुनना जरूरी, नहीं तो होगा परिवार को मुश्किल
मुंबई- ऐसी धारणा है अपनी किसी भी संपत्ति के लिए एक नॉमिनी को नियुक्त कर देने से सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं। लेकिन यह सही नहीं है। कानूनी रूप से एक नॉमिनी उन संपत्तियों का केवल देखरेख कर सकता है, जिसके लिए उसे नॉमिनी नियुक्त किया गया है। वह कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हो सकता है।
हाल के समय में ऐसा कई बार हुआ है कि 25 साल के युवाओं से लेकर 50 साल तक के अधेड़ लोगों की मौत अचानक हो जाती है। वे दो दिन पहले तक स्वस्थ रहतेे हैं लेकिन अचानक एक दुखी कर देने वाली खबर आ जाती है। ऐसी स्थितियों में अगर मृतक ने अपनी संपत्ति यानी घर, बीमा, म्यूचुअल फंड, शेयर, एफडी या कोई भी ऐसी संपत्ति है, जिसका उसने कानूनी उत्तराधिकार तय नहीं किया है तो फिर उसके परिवार को अपनी ही संपत्ति पाने के लिए कोर्ट कचहरी के साथ पैसा भी खर्च करना पड़ता है।
ऐसे में आपके न रहने पर अगर परिवार को सारी संपत्तियां बिना किसी विवाद के मिल जाए तो इसके लिए विल यानी वसीयत बहुत जरूरी है। वसीयत न बनाने से परिवार को आपकी सारी संपत्तियों का पता नहीं होता है। आरबीआई के पास ऐसी ही 35,000 करोड़ रुपये की लावारिस रकम पड़ी है जिसका कोई दावा करने वाला नहीं है।
एक नॉमिनी आपकी संपत्ति का संरक्षक होता है। सही फैसले से यह सुनिश्चित हो सकता है कि आपके कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी विरासत सही और समय पर मिले। सरकार पिछले कुछ वर्षों से सभी वित्तीय संपत्तियों के लिए नामांकन सुविधाओं पर जोर दे रही है। जून 2022 में सेबी ने सभी म्यूचुअल फंड फोलियो के लिए नामांकन अनिवार्य कर दिया था। इसकी समय सीमा 30 सितंबर 2023 है। व्यक्ति के न रहने पर उसके परिवार को खुद को सही लाभार्थी साबित करने के लिए लंबी और थकाऊ प्रक्रिया से जूझना पड़ता है।
संपत्ति में यदि कोई नॉमिनी व्यक्ति नहीं है, तो उत्तराधिकारियों को एक प्रोबेट या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र सिविल कोर्ट से लेना होगा। इसके बाद वे एफडी पर दावा कर सकते हैं। आप नॉमिनी को एक कानूनी उत्तराधिकारी भी नियुक्त कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति ने पत्नी को संपत्ति के लिए नॉमिनी रखा है। लेकिन उसने यह वसीयत बनवाया है कि उसकी संपत्ति को उसके बच्चों और माता-पिता के बीच समान रूप से बांटना चाहिए। ऐसे मामलों में फिर पत्नी को कुछ नहीं मिलता है। अगर पत्नी नॉमिनी के साथ कानूनी वारिस भी है तो फिर अन्य कानूनी उत्तराधिकारी वसीयत को चुनौती दे सकते हैं।
उत्तराधिकारियों का नाम दें। यह भी बताएं कि आप उन्हें क्या देना चाहते हैं या नहीं। आप अपने जीवनसाथी और माता-पिता से लेकर दूर के रिश्तेदार और दोस्त तक किसी को भी नॉमिनी नियुक्त कर सकते हैं। आप किसी नाबालिग को उसके अभिभावक के बारे में जानकारी देने के बाद नॉमिनी भी नियुक्त कर सकते हैं। नॉमिनी की पात्रता के संबंध में प्रत्येक वित्तीय साधन का नियम है। उदाहरण के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन केवल परिवार के किसी सदस्य को नामांकित करने की अनुमति देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ईपीएफ की रकम सीधे नॉमिनी को जाएगी न कि आपके उत्तराधिकारियों को।
अधिकांश बचत और निवेश साधन आपको एक से अधिक नॉमिनी रखने की अनुमति देते हैं। यदि आप वारिसों के लिए हिस्सेदारी का उल्लेख करने में विफल रहते हैं, तो दावा निपटान उन सभी के बीच समान रूप से किया जाएगा। आप किसी दूसरे देश के नागरिक को भी अपना नॉमिनी बना सकते हैं। यह उन मामलों में मददगार है जहां बच्चे विदेश में बस गए हैं और एक अलग देश की नागरिकता हासिल कर ली है। हालांकि, कराधान के मुद्दों से बचने को विदेशी के लिए भारतीय पैन नंबर होना सबसे अच्छा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बेची जा रही संपत्ति पर भारतीय कानूनों के अनुसार कर लगाया जाएगा।