जीएसटी चोरी रोकने के लिए हो रहा है डेटा एनालिटिक्स का उपयोग 

मुंबई- बड़े पैमाने पर हो रही जीएसटी चोरी का पता लगाने के लिए अब डेटा एनालिटिक्स का उपयोग हो रहा है। इसके जरिये जीएसटी अधिकारी यह पता लगा रहे हैं किसी विशेष क्षेत्र में पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर्याप्त जीएसटी का भुगतान कर रही है या नहीं। जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने शुरुआती चरण में ही चोरी को पकड़ने के प्रयास तेज कर दिए हैं, ताकि अनुपालन में सुधार हो सके। 

एक अधिकारी ने बताया कि हम किसी क्षेत्र के लिए ‘एंड-टू-एंड’ विश्लेषण और आपूर्ति श्रृंखला में कर भुगतान का आकलन कर रहे हैं। इससे यह पता लगाया जा सके कि कोई ऐसी कड़ी तो नहीं छूट गई है, जिसमें कर का भुगतान नहीं हुआ है। डेटा विश्लेषण में किसी विशेष क्षेत्र के कर भुगतान प्रोफाइल की तुलना तत्कालीन उत्पाद शुल्क और सेवा कर व्यवस्था से की जाती है। अब जब जीएसटी प्रणाली स्थिर हो गई है, तो इसे और कारगर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, हम यह पता लगाना चाहते हैं कि क्या जीएसटी के दायरे में आने वाले सभी क्षेत्र करों के अपने हिस्से का भुगतान कर रहे हैं या नहीं। 

विश्लेषण के बाद अगर विभाग को लगता है कि कानून या टैरिफ में कुछ बदलावों की आवश्यकता है ताकि अनुपालन में वृद्धि करके चोरी की जांच की जा सके, तो इसे मंजूरी के लिए जीएसटी काउंसिल के समक्ष पेश किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि यदि कोई क्षेत्र का कुछ हिस्सा मूल्य श्रृंखला में करों का भुगतान नहीं कर रहा है और कर चोरी का मामला है, तो प्रवर्तन कार्रवाई की जा सकती है। 

अधिकारी ने कहा, डेटा एनालिटिक्स एक समय लेने वाली प्रक्रिया है, लेकिन विनिर्माण चरण में ही जीएसटी चोरी की जांच करने के लिए यह जरूरी है। यह अनुपालन में सुधार सुनिश्चित करते हुए राजस्व संग्रह बढ़ाने में मदद करेगा। पिछले वित्त वर्ष में कुल 1.01 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का पता था। इसमें से 21,000 करोड़ रुपये की वसूली हो पाई थी। 

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